नौमी या नवमी ?!
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यह अच्छा है कि तिथियों या पर्वों के बहाने हम लोग कभी-कभी भाषा के प्रति सजग-सचेत हो जाते हैं। बात चल निकलती है - पर्व का नाम यह कहना शुद्ध है, या वह? यह लिखना सही है, या वह सही है? अबकी बार हमारे एक मित्र ने पूछा है— रामनवमी कहा जाए या रामनौमी?
नौमी और नवमी दोनों शुद्ध हैं। तिथियों के क्रम में नौमी अर्थात नौवीं तिथि। पूनो (पूर्णिमा ) के आठ दिन बाद आने वाली तिथि को कृष्णपक्ष की नवमी कहा जाता है और अमावस के आठ दिन बाद आने वाली तिथि को शुक्लपक्ष की। इस प्रकार पूनो और अमावस को छोड़कर कोई भी तिथि महीने में दो बार आती है- एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।
नवमी तत्सम है और नौमी तद्भव। इसकी उत्पत्ति संस्कृत नव > नौ (९) से है। नव से क्रमसूचक विशेषण- नवम > नौवाँ। नवम का स्त्रीलिंग - नवमी > नौमी > नौवीं। जैसे नौवाँ जन्मदिन, नौवीं वर्षगाँठ।
परंपरानुसार चैत के महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान राम का जन्म उत्सव मनाया जाता है।
तुलसीदास के अनुसार-
"नौमी तिथि मधुमास पुनीता।
सुकलपच्छ अभिजित हरि प्रीता॥
मध्य दिवस अति सीत न घामा।
पावन काल लोक बिश्रामा॥"
"जगनिवास प्रभु प्रगटे अखिल लोक बिश्राम॥"
~ रामचरितमानस, १/१९१
"जब जगनिवास प्रभु राम प्रकट हुए, तब पवित्र चैत्र का महीना था, नौमी तिथि, शुक्ल पक्ष, अभिजित मुहूर्त और दोपहर का समय। न बहुत सर्दी थी, न धूप।"
यह प्रभु राम के प्रकट होने की बात है। कौशल्या के सामने प्रकट हुए । देवताओं ने फूल बरसाओ और उनका गुणगान किया। तब माँ को याद आया कि इन्हें तो बच्चा होना चाहिए। वे तुरंत बोलीं-
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।"
माँ के कहने पर राम शिशुलीला करते हुए पहली बार रोए! जनमते शिशु का रोना सुनकर महल में शुभ समाचार फैल गया कि राजा के बालक हुए हैं। यह कथा तुलसी बाबा के अनुसार है जिसे अनेक कवियों ने अपने-अपने ढंग से लिखा है।
बाकी सच्चाई वे लोग जानें जो प्रभु राम को उनकी उँगली पड़कर लाए हैं और जो कण-कण में व्याप्त है उसे मंदिर में पथरा दिया है। उनके अनुसार जनवरी 22 की तिथि महत्त्वपूर्ण है, अष्टमी-नवमी का पता नहीं!
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