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राजनीतिक और राजनैतिक

शब्द-विवेक : राजनीतिक या राजनैतिक

वस्तुतः राजनीति के शब्दकोशीय अर्थ हैं राज्य, राजा या प्रशासन से संबंधित नीति। अब चूँकि आज राजा जैसी कोई संकल्पना नहीं रही, इसलिए इसका सीधा अर्थ हुआ राज्य प्रशासन से संबंधित नीति, नियम व्यवस्था या चलन।
आज बदलते समय में राजनीति शब्द में अर्थापकर्ष भी देखा जा सकता है। जैसे:
1. मुझसे राजनीति मत खेलो।
2. खिलाड़ियों के चयन में राजनीति साफ दिखाई पड़ती है।
3. राजनीति में कोई किसी का नहीं होता।
4. राजनीति में सीधे-सच्चे आदमी का क्या काम।
उपर्युक्त प्रकार के वाक्यों में राजनीति छल, कपट, चालाकी, धूर्तता, धोखाधड़ी के निकट बैठती है और नैतिकता से उसका दूर का संबंध भी नहीं दिखाई पड़ता। जब आप कहते हैं कि आप राजनीति से दूर रहना चाहते हैं तो आपका आशय यही होता है कि आप ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते जो आपके लिए आगे चलकर कटु अनुभवों का आधार बने। इस प्रकार की अनेक अर्थ-छवियां शब्दकोशीय राजनीति में नहीं हैं, व्यावहारिक राजनीति में स्पष्ट हैं।

व्याकरण के अनुसार शब्द रचना की दृष्टि से देखें। नीति के साथ विशेषण बनाने वाले -इक (सं ठक्) प्रत्यय पहले जोड़ लें तो शब्द बनेगा नैतिक; (जैसे देह से दैहिक, लिंग से लैंगिक, इच्छा से ऐच्छिक, लोक से लौकिक आदि।) अब नैतिक से पूर्व राज जोड़कर समास करें तो राज + नैतिक = राजनैतिक शब्द बनता है।

दूसरी ओर राजनीति समस्त पद के साथ उक्त प्रत्यय जोड़ें तो राजनीतिक बनेगा, क्योंकि प्रातिपदिक की उपधा  में "आ" स्वर पहले से है, इसलिए दीर्घ स्वर में पुनः वृद्धि नहीं होगी; जैसे नीति > नैतिक (नी > नै), लोक > लौकिक (लो> लौ), समाज > सामाजिक (अ >आ)

यह तो है व्याकरणिक पक्ष, अब व्यावहारिक दृष्टि से भी परख लिया जाए। चूँकि आज राजनीति के साथ नैतिकता कहीं रह नहीं गई, कहीं दिखाई नहीं देती, इसलिए "राजनीतिक" ही ठीक है।  व्याकरण के अनुसार शुद्ध होते हुए भी राजनीति का "नैतिक" बोझ कोई उठा नहीं पाएगा: न राजनीति कर्मी, न राजनीति भोगी। 
"बली को देक्खें, भूत भाज्जें" वाली कहावत याद करें और राजनीतिक को ही सही मानें।

टिप्पणियाँ

  1. बिल्कुल ठीक व्याख्या है । यह राजनीतिि शब्द का लाक्षणिक अर्थ कह सकते है । लेकिन व्यवहार पक्ष का क्या होगा ?
    यूं देखा जाय तो नैतिक (एथिक्स) हर क्षेत्र से विदा हो गई है । लेकिन मजे की बात है आज हर जानी-मानी संस्था अपने यहां एथिक्स कमिटी रखती है । एकबार उसे निकाल फेंका , फिर पिछड़े दरवाजे से उसका प्रवेश करवाया । लेकिन ऐसे एथिक्स कमिटियां भाड़े के टट्टू का काम करती है ।
    आज की ताजा खबर से ज्ञात हुआ कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया गया है , जबकि कल उनकी नौकरी का अंतिम दिन है । उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन मिला है W.B के लिए । तो बहस चल रही है इसे लेकर --- इसका निष्कर्ष यही है कि यह ट्रांसफर विधि सम्मत हो सकता है पर नीति सम्मत नहीं । लेकिन इन्हें नीति कौन समझाए ,यह सब व्यक्तिगत छींटाकसी में लगे । जब इसका कोई समाधान नहीं निकलेगा तो एथिक्स कमिटी निर्णय बैठा दी जाएगी । इसकी रिपोर्ट छः महीने बाद आएगी तब तक सबकुछ सस्पेंड रहेगा ।
    नीति अथवा मर्यादा बिना एक पत्ता भी नही हिलता है । लेकिन हम तो मनुष्य है प्राणियों में श्रेष्ठ इसलिए राजनीति अर्थात राज - नीति = राज , को निभाते है ।
    धन्यवाद दादा ।

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  2. ब्लॉग पर पधारने के लिए आभार।
    आप ठीक कह रही हैं। समय के साथ शब्दों के अर्थों में लाघव, विस्तार या लाक्षणिकता जैसी विशेषताएँ आती हैं। कभी वे एकदम खोखले से जान पड़ते हैं। नीति, नैतिकता, एथिक्स के साथ भी यही हुआ है।
    "राजनीति" का अर्थ समझने के लिए आपका फॉर्मूला अच्छा लगा कि राज में से नीति घटा दी जाए तो राज-नीति सार्थक हो जाती है! 😊

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मै अक्सर आपका ब्लॉग पढ़ती हूं ।शायद जवाब देने में चूक जाती हूं । एकबार चाय की रेसिपी भी पूछी थी । मैने उस चाय का नाम नहीं सुना था । Anyway,
      सिर्फ राज से नहीं , जिंदगी के हर क्षेत्र से नीति यानि एथिक्स माइनस कर दी गई है ।उसका कारण भी विज्ञान भित्तिक चिंता जिसमे सत्य की खोज को पनाह दी जाती है ।पर सत्य किसी को नहीं मालूम क्या है ? स्मरण करना आवश्यक है कि एटमबॉम फोड़ने के बाद ओपेनहाइमर ने brighter than the thousand sun में confess किया था , विज्ञान की दूरी नैतिकता से । तब तक हिरोशिमा और नागासाकी खत्म हो चुके थे । आज तो विज्ञान में भी एथिक्स कमिटी की बात लोग करते देखे जाते है पर वही ढाक के तीन पात वाली बात ।
      अच्छा लगा आप पुनः सक्रिय हुए अन्यथा इस प्रलय झंझा से सिद्ध, संन्यासी ही जूझ सकते है । रोज इसी झंझा से गुजारना पड़ रहा ।
      दादा स्वस्थ रहे, सक्रिय रहे, सुरक्षित रहे ।
      धन्यवाद ।

      हटाएं
  3. सर यदि किसी प्रतियोगी परीक्षा मे राजनीतिक और राजनैतिक मे से किसी एक को शुद्ध रूप मे चुनने को कहा जाए तो कोनसा शब्द अधिक उपयुक्त होगा

    जवाब देंहटाएं
  4. बर्खास्त और निलंबित में क्या अंतर है सर
    और निष्कासित

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार जानकारी सर्
    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  6. नमस्कार श्रेष्ठ, 'राजनीतिक' एवं 'राजनैतिक' शब्द व्याख्यायित ब्लॉग न केवल ज्ञानवर्धक लगा अपितु रोचकता से भरपूर भी; किन्तु इस व्याख्या सम्बन्धी कुछ अन्य समान व्याकरणिक संदेह/प्रश्न अभी भी मेरे ज़हन से शान्त नहीं हुए, सो मैं आपके सामने उढ़ेल देता हूं, तृप्ति की आस में......। यथा:-

    प्रशासनिक/प्राशासनिक
    संवैधानिक/सांविधानिक
    लोकतांत्रिक/ लौकतंत्रिक / लौकतांत्रिक
    स्वतांत्रिक/ स्वातंत्रिक/ सौतांत्रिक/
    अनुवांशिक /आनुवंशिक/ आनुवांशिक

    तथा, और भी कई......।

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  7. दूसरी ओर राजनीति समस्त पद के साथ उक्त प्रत्यय जोड़ें तो राजनीतिक बनेगा, क्योंकि प्रातिपदिक की उपधा में "आ" स्वर पहले से है, इसलिए दीर्घ स्वर में पुनः वृद्धि नहीं होगी; जैसे नीति > नैतिक (नी > नै), लोक > लौकिक (लो> लौ), समाज > सामाजिक (अ >आ)
    सर, यह यह अनुच्छेद ठीक से समझ में नहीं आया.
    क्या कुछ और स्पष्ट करने की कृपा कर सकते हैं?

    जवाब देंहटाएं

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