"कट्टी तो कट्टी
बारह बजे बट्टी
मैं खाऊँ आइस्क्रीम
तू खाए मिट्टी ......
हा-हा , हा-हा-हा !!!"
आजकल बुढ़ा रही पीढ़ी जब बिला जाएगी तो कट्टी-बट्टी का नाम भी इतिहास हो जाएगा। अब कट्टी-बट्टी का समय नहीं रहा। देसी खेल खेल नहीं रहे। अब कट्टी नहीं होती, 'ब्रेकअप' हो जाता है। कौन समझाए कि ब्रेकअप बहुत डरावना हुआ करता है। उन्हें कौन बताए कि बच्चो! तुम्हारी उम्र ब्रेकअप की नहीं, कट्टी की है। ईश्वर न करे बड़े होकर भी किसी को ब्रेकअप का सामना करना पड़े। संबंधों में ब्रेकअप से नरक हो जाती है ज़िंदगी। और बच्चों को ब्रेकअप से क्या ही लेना-देना। ब्रेकअप टूटने के लिए होता है, और कट्टी थोड़ी देर रूठ कर फिर से जुड़ने के लिए।
रूठने और मानने-मनाने का खेल ’कट्टी’ और ‘बट्टी' (अब्बा) छोटी उम्र के बच्चों में लगभग रोज़ाना होता रहता है। असल में तो यह खेल भी नहीं है। खेल-खेल में रूठने का और फिर जब चाहो तब वापस दोस्तों के पाले में आ जाने का खेल है। न किसी के मन में क्लेश, न किसी से दुश्मनी। इस पल कट्टी, तो अगले पल बट्टी। मामला थोड़ा-सा उलझा हुआ हो तो घूसखोरी भी चलती है— दो-तीन खट्टी गोलियाँ, चॉकलेट, इमलियाँ, चुस्की आइस्क्रीम या ऐसा ही कुछ। ऐसा कुछ नहीं तो अगली बार स्टापू या क्रिकेट के खेल में अपनी टीम में शामिल करने का आश्वासन भी चलेगा।
आइए इन शब्दों के भाषिक पहलुओं पर विचार करें।
बच्चों के क्षणिक मनमुटाव के लिए 'कट्टी' शब्द तो हिंदी पट्टी की बहुत सी उपभाषाओं, बोलियों में है और कट्टी जब नहीं रहती तो उसके लिए कहीं 'बट्टी' है, कहीं 'अब्बा' है और कहीं 'सल्ला'। कट्टी शब्द कटना (काटना) से बना है, और इसका प्रयोग बच्चे अपने दोस्तों से संबंध तोड़ने के लिए करते हैं। अर्थ है रिश्ते या दोस्ती को तोड़ना, टुकड़े-टुकड़े करना, संबंध सूत्र या मैत्री संबंध को काटना।
बट्टी, 'कट्टी' का सकारात्मक पक्ष है। कट्टी बट्टी के साथ दो प्रतीकात्मक मुद्राएँ भी जुड़ी हुई हैं। कट्टी को ठोड़ी के नीचे अँगूठे के क्लिक से अथवा कहीं अँगूठे से दाँतों को छूते हुए व्यक्त किया जाता है और बट्टी को अब्बा कहकर और कनिष्ठा अंगुली को उठाकर व्यक्त किया जाता है। प्रस्ताव से सहमत होने पर अगला पक्ष भी अंगुली में अंगुली फँसाकर तुरंत सहमति जता देता है। बट्टी देशज शब्द लगता है। इसका संबंध बट (ऐंठन, ply) से हो सकता है। जिस प्रकार कच्चे धागों में बट देकर उन्हें मिलाया जाता है और फिर एक होकर वे मजबूत हो जाते हैं, इसी प्रकार कट्टी से बिखरे हुए संबंध बट्टी में बटकर फिर एक हो जाते हैं।
उत्तराखंड, विशेष कर कुमाऊँ में कट्टी का विलोम 'सल्ला' है। कट्टी में संबंध विच्छेद हो जाता है और सल्ला के द्वारा पुनः संधि स्थापित हो जाती है। 'सल्ला' शब्द की व्युत्पत्ति अरबी भाषा से हुई है। अरबी में सुलह का अर्थ है मेल-मिलाप करना या जुड़ना। यह शब्द बाद में कुछ भाषाओं में सलाह के रूप में भी इस्तेमाल किया गया, जिसका अर्थ है सलाह या सुझाव। कट्टी में बोलचाल बंद होती है और वह नए सिरे से तभी प्रारंभ हो सकती है जब आपस में सल्ला (सलाह-मशवरा) हो।
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