झंडा फहराने/लहराने के लिए दो शब्द हैं: ध्वजारोहण (flag hoisting), ध्वजोत्तोलन (flag unfurling)। ध्वजारोहण में ध्वज को रस्सी से बाँधकर ध्वजदंड के शिखर तक ऊपर ले जाने (आरोहण) का भाव है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। ध्वजारोहण में ध्वज को खंभे के नीचे से ऊपर उठाया जाता है , जो 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरने का प्रतीक है।
जब दंड के शिखर पर पहले से एक पोटली-सी बनाकर ध्वज बाँधा गया हो और तुला की भाँति गाँठ खोलकर ऊपर लहराया जाए तो इसके लिए उत्तोलन अधिक उपयुक्त है। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति डोरी खींचते हैं और टच दंड के शिखर पर पहले से बँधा हुआ झंडा खुलकर फहराने लगता है। यह झंडोत्तोलन या ध्वजोत्तोलन है। जिन्हें यह सूक्ष्म अंतर मालूम नहीं है, वे 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों के लिए झंडा फहराना क्रिया का प्रयोग करते हैं।
लहराना क्रिया लहर से बनी नामधातु है और फहराना ध्वन्यात्मक शब्द फर-फर से बनी। झंडा लहरों की तरह चंचल दिखाई पड़ता है तो लहराता है, तरंगित होता है। हवा से फर-फर करता उड़ता है तो फहराता है। हिंदी शब्द सागर में फहराना को 'प्रसरण' से व्युत्पन्न माना गया है।
तोलन तोलने, भार मापने की प्रक्रिया है। ध्वज का "उत्+तोलन" होता है, झंडा ऊपर उठाया जाता है। "झंडोत्तोलन" भी कहने लगे हैं। अतत्सम या आगत शब्दों में संधि अटपटी लगती है क्योंकि हिंदी के स्वभाव में संधि है नहीं, संस्कृत में है और तत्सम शब्दों के साथ हिंदी में आई है। संस्कृत में भी संधि वैकल्पिक मानी गई है। पांडित्य प्रदर्शन के लिए लोग संधियुक्त पदों का अधिक प्रयोग करते हैं।
झंडा और ध्वजा दोनों का संबंध एक ही मूल संस्कृत ध्वज (ध्वजा ) और दंड (लाठी, झंडा फहराने का डंडा) से है। ध्वजदंड ≥ धज्जंड> झंडा। ध्वज और झंडा दोनों के साथ आरोहण जोड़ा जा सकता है, < ध्वजारोहण = झंडारोहण।
फहरना ' है। झंडा फहराना या झंडारोहण में विशेष अंतर नहीं है लेकिन सूक्ष्म अंतर किया जा सकता है, केवल बहस के लिए।
बताने का अंतर यह है कि ध्वजारोहण में ध्वज को रस्सी से बाँधकर ध्वजदंड के शिखर तक ले जाने (आरोहण) का भाव है और उसके बाद खोलकर फहराया जाता है। फहराना का प्रयोग करते हुए संभव है कि ध्वज पहले से ध्वज दंड के शिखर पर बँधा हो और गाँठ खोलने का काम ही बचा हो।
१५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण (flag hoisting) किया जाता है और २६ जनवरी, गणतंत्र दिवस पर ध्वजदंड के शिखर पर बँधे ध्वज को फहराने का काम (flag unfurling) किया जाता है।
आप राष्ट्रीय दिवस पर झंडा फहरा चुके हो तो चलिए कुछ मुहावरों की बात कर लें।
झंडा गाड़ना –झंडा लगाना, क़बज़ा जमाना, महत्वपूर्ण काम करना, विजयी होना, सिक्का बिठाना
झंडा ऊँचा करना– विजय या सफलता की घोषणा करना, सम्मान बढ़ाना, किसी मुहिम में शामिल होने का आमंत्रण देना
झंडा झुकाना, झंडा नीचे करना– बड़े सम्मानित व्यक्ति के निधन पर शोक व्यक्त करना। पराजय स्वीकार करना।
झंडे उखड़ना- प्रभुत्व समाप्त होना, किसी आयोजन की समाप्ति
झंडा उठाना– विद्रोह बगावत करना, किसी नेता या पार्टी का अनुसारक बनना
झंडाबरदार – वह व्यक्ति जो किसी राज्य, संस्था या राजनीतिक दल का झंडा लेकर चलता है अर्थात उसका अनुसरण करता है।
शब्द-विवेक : राजनीतिक या राजनैतिक वस्तुतः राजनीति के शब्दकोशीय अर्थ हैं राज्य, राजा या प्रशासन से संबंधित नीति। अब चूँकि आज राजा जैसी कोई संकल्पना नहीं रही, इसलिए इसका सीधा अर्थ हुआ राज्य प्रशासन से संबंधित नीति, नियम व्यवस्था या चलन। आज बदलते समय में राजनीति शब्द में अर्थापकर्ष भी देखा जा सकता है। जैसे: 1. मुझसे राजनीति मत खेलो। 2. खिलाड़ियों के चयन में राजनीति साफ दिखाई पड़ती है। 3. राजनीति में कोई किसी का नहीं होता। 4. राजनीति में सीधे-सच्चे आदमी का क्या काम। उपर्युक्त प्रकार के वाक्यों में राजनीति छल, कपट, चालाकी, धूर्तता, धोखाधड़ी के निकट बैठती है और नैतिकता से उसका दूर का संबंध भी नहीं दिखाई पड़ता। जब आप कहते हैं कि आप राजनीति से दूर रहना चाहते हैं तो आपका आशय यही होता है कि आप ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते जो आपके लिए आगे चलकर कटु अनुभवों का आधार बने। इस प्रकार की अनेक अर्थ-छवियां शब्दकोशीय राजनीति में नहीं हैं, व्यावहारिक राजनीति में स्पष्ट हैं। व्याकरण के अनुसार शब्द रचना की दृष्टि से देखें। नीति के साथ विशेषण बनाने वाले -इक (सं ठक्) प्रत्यय पहले जोड़ लें तो शब्द बनेगा नै...
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