भाषा से एक मसला और जुड़ा है और मसला गंभीर है। यों भाषा से जुड़े मसले प्रायः गंभीर होते नहीं, बना दिए जाते हैं। "मेरी भाषा - तेरी भाषा" के चक्कर में यहाँ राज्यों के बटवारे हुए, आत्मदाह हुए। पंद्रह साल टिकने की मोहलत वाली विदेशी भाषा अमरता का वरदान पा गई और इस देश की मिट्टी में जन्मी, पली- बढ़ी भाषा दिखावे की राजभाषा बना दी गई! इस दर्द को न ही पूछें तो अच्छा। जाने क्या-क्या हो रहा है आज भी भाषा के नाम पर!
बहरहाल आज मसला है... "भाइयों! बहनों!!" -- ये संबोधन सही है या "भाइयो! बहनो!!"
यदि प्रचलन के हिसाब से देखें तो हमारे प्रधानमंत्री जी भी " भाइयों, बहनों" ही कहते हैं। उधर गीता का परामर्श है कि श्रेष्ठ जन जो करें वही हमें भी करना चाहिए। इसलिए भाइयों, बहनों, बच्चों, साथियों जैसे प्रयोग धड़ाधड़ होरहे हैं - मीडिया में भी और आम जन में भी। लेकिन संबोधन में ऐसे प्रयोग अशुद्ध हैं। हिंदी का कोई व्याकरण इन्हें सही नहीं मान सकता। मूल एकवचन शब्द के साथ "ओं" जोड़कर बहुवचन बनता तो है, पर संबोधन में कभी नहीं। यों समझ लें कि"ओं" को जब बहुवचन बनाने के लिए मूल एकवचन से जोड़ते हैं तो उसे तुरंत एक साथी की भी आवश्यकता होती है, जैसे : बहनों ने, भाइयों को, बहुओं के लिए, देवताओं से ...। पर संबोधन में यह संभव नहीं होता। हो ही नहीं सकता। सीधा बहुवचन बनेगा -- भाइयो!, बहनो!, गुरुजनो!, सभासदो! आदि।
अब मोदी जी अगर हमें "भाइयों-बहनों" या "मेरे प्यारे देशवासियों" कहकर संबोधित करते हैं तो हम देशवासियों के प्रति उनके प्यार को देखिए और उस प्यार का अनुकरण-अनुसरण कीजिए, अशुद्ध हिंदी का नहीं।वैसे भी मोदी जी मूलतः गुजराती भाषी हैं, हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है। एकाध भूल का क्या बुरा मानना! हिंदी वाले तो उदार बताए जाते हैं।
एक कहावत भी तो है, जगमगाते चाँद पर एकाध धब्बा उसकी शोभा ही बढ़ाता है! है न भाइयो-बहनो!
ऐसे ही वे अपने भाषण में आजादी को 'आझादी' उच्चारते हैं, शायद गुजराती उच्चारण के कारण।
जवाब देंहटाएंस्वाभाविक है। उनके उच्चारण और वाक्य रचना में गुजराती का प्रभाव साफ़ झलकता है।
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जवाब देंहटाएंकई बार भाषा को अलंकृत करनेके लिए या कोई जुमला बनाने के लिए उच्चारण और लिखाई का भी ध्यान नहीं रक्खा जाता | मेरी समझ अनुसार, वाक्य "कुछ दिन तो गुजारिए गुजरात में!" यहाँ "ज" अलग अलग उच्चार होना चाहिए | उर्दू मूल से शब्द है | पर प्रास बनाने के लिए समान उच्चारित किया गया!
जवाब देंहटाएंदूसरा मूल भाषा से भाषांतर करनेमें शब्दानुवाद से भाषा आहत होती है | हवाई अड्डे पर मैंने सुना, "सामाजिक दुरी का सम्मान करें!" क्यों की अंग्रेजी में "... respect social distancing..." कहा जाता है! हमें कहना चाहिए भौतिक दुरी रक्खें! यह भी समझ नहीं आता "सामाजिक" क्यों कहते हैं? भौतिक कहना चाहिए!
आपकी पोस्ट या व्लॉग पढ़कर हर बार कुछ नया जानने को मिलता है। मोदी शब्थ की व्युत्पत्ति पर यह बहुत सुन्दर लेख है।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट या व्लॉग पढ़कर कुछ नया जानने को मिलता है। धन्यवाद आपका
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