उपनयन का कोशीय अर्थ है- पास ले जाना, यज्ञोपवीत संस्कार, जनेऊ । हमें लगता है इसकी कोशीय परिभाषा में बदलाव किया जाना चाहिए। मनु ने वर्णानुसार उपनयन संस्कार की आयु, विधि तय की थी। आज के ज़माने में उपनयन का स्वरूप और विधि-विधान सब बदल गया। नये उपनयन संस्कार के लिए कोई पंडित-पुरोहित नहीं, नेत्रचिकित्सक आवश्यक है। और यह भी आवश्यक नहीं की वह मनुवादी ही हो। किसी भी वर्ग से हो सकता है, बस आँखों वाला चार्ट पहचानता हो और पढ़ा लेता हो।
जब 50+ होते-होते अँखियाँ हरिदर्शन से अधिक जगदर्शन को तरसने लगती हैं तो एक अदद उपनयन आवश्यक हो जाता है। हमारे मित्र राहुल देव जी अच्छे विचारक हैं और भाषा पर उनको अधिकार है। वे कहने लगे कि इसे उपनयन के स्थान पर 'अतिनयन' क्यों न कहें। हमें क्या आपत्ति हो सकती थी लेकिन फिर सोचा अति उपसर्ग प्रकर्ष, उल्लंघन, अतिशय आदि के अर्थ में आता है। अतिनयन का अर्थ तो नयनों की सीमा से भी आगे देखने वाली चीज़ हो जाएगी। इसके विपरीत 'उप-' उपसर्ग प्रायः सहायक या किसी के बदले में होने का अर्थ देता है और 'अति-' आधिक्य, बाहुल्य, प्रचुरता का।
कहते हैं सावरकर जी ने इसे उपनेत्र कहना चाहा था। वे ठहरे वीर, कुछ भी कह सकते हैं। हमें तो नयन इसलिए पसंद है कि इसमें दो बार //न// होने से कोमलता है, मंजुलता है और नेत्र में //त// और //र// से रूखापन और कर्कषता। इसी कोमलता के कारण श्री राम जब सीता जी को ढूँढ़ रहे थे तो प्रकृति से मृगनैनी के बारे में पूछते फिर रहे थे
"हे खग मृग हे मधुकर स्रेनी
तुम देखी सीता मृगनैनी॥
उर्दू और हिंदी में आँँख के लिये फ़ारसी से एक शब्द आया चश्म। आँँखों के आराम और देखने में सहूलियत के लिए जो उपकरण होता है उसको चश्मा कहा गया। चश्मे के भेद-उपभेद किए गए धूप का चश्मा, नज़र का चश्मा, नज़दीक का चश्मा, दूर का चश्मा।
मुग़ालते में न रहिएगा कम-निगाही के
हमारा चश्मा नज़र का नहीं है धूप का है
अरबी में आँँख को ऐन कहते हैं । इसलिए अरबी में चश्मे को ऐनक कहा गया। उस ज़माने में हर यात्री, हर लुटेरा हिंदुस्तान की ओर रुख़ करता था और उनके साथ यह ऐनक भी हिंदुस्तान पहुँच गया। और लोगों ने देखा कि ऐन वक्त पर तो ऐनक ही काम आता है सो ऐनक को अपना लिया। ऐनक एक अर्थ में बाकी सभी से भाग्यशाली है कि सबसे कम उम्र में बच्चे इसे ककहरे के साथ ही सीख लेते हैं -
"ए से एड़ी
ऐ से ऐनक"
एक शायर साहब के सामने तो बड़ी मुसीबत आन पड़ी और बोले
नज़दीक की ऐनक से उसे कैसे मैं ढूँढ़ूँ
जो दूर की ऐनक है कहीं दूर पड़ी है (अनवर मसूद)
ऐन से मिलते-जुलते शब्द हैं आईन और आईना। आईना तो बड़े काम की चीज़ है। कहते हैं किसी भी उम्र में लड़कियों के पास आईना होना ज़रूरी है। बाकी लोगों को आईना दिखा दो तो वे वर्तमान वास्तविकता को समझ सकते हैं लेकिन उनके अपने चेहरे पर धूल हो तो आईना साफ़ करने लगते हैं।आईन का अर्थ है कानून, संविधान। ऐनक पहन कर आईन देखने वाले कभी-कभी व्हाट्सएप संदेश को कानून की किताब मान लेते हैं और उसे बचाने के लिए कानून या संविधान की धज्जियाँ उड़ाने से उन्हें कोई परहेज़ नहीं।
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