1. उपमा चर्चा
वागर्थ विचार में भाषा चर्चा के बीच उपमा व्यंजन की चर्चा देखकर चौकें नहीं। हम पाकविधि की बात नहीं कर रहे, हम उपमा शब्द की बात कर रहे हैं। वस्तुतः उपमा मेरा प्रिय नाश्ता है, यह बात और है कि प्रारंभ में मैं इस नाम का संबंध अलंकार शास्त्र से जोड़ता था। यह शब्द मुझे कालिदास की याद दिलाता था और मैं हैरान होता था कि भला कविता से इस व्यंजन का लेना देना क्या?
दरअसल उपमा शब्द तमिल भाषा का है और 2 शब्दों का मेल है - उप्पु अर्थात नमक और मावु अर्थात आटा! तो नमक और आटे के प्रधान घटकों के साथ बनने वाला व्यंजन कहा गया उप्पमा (उप्पु +मावु = उप्पमा > उपमा), यह बात और है कि अब उपमा के आशिकों ने सूजी, चावल, दलिया ओट्स आदि के उप्पमा ढूँढ़ लिए हैं। दक्षिण की चारों प्रमुख भाषाओं, उनकी बोलियों में यही शब्द है। किंतु कर्नाटका के कुछ भाग में इसे उपीटु/उप्पीट्टू भी कहा जाता है। यह मराठी का प्रभाव है क्योंकि मराठी भाषा में आटे को पीठ कहते हैं। इसलिए शब्द रचना प्रक्रिया में उपीट या उपमा भी समान हैं।
2. दोसा चर्चा
दोसा/ डोसा व्यंजन आज अखिल भारतीय स्तर पर लोकप्रिय है। यों भी कहा जा सकता है इस अकेले स्वादिष्ट व्यंजन के माध्यम से पूरे उत्तर भारत पर द्रविड़ भाषा- संस्कृति के प्रभाव को आज देखा जा सकता है और स्वाद इंद्रिय के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। कहा भी गया है कि दिल का रास्ता ज़ुबान और पेट से होकर जाता है।
दोसा शब्द तमिल में तोसै है और इसे पुरा द्रविड़ (प्राचीन द्रविड़) में भी तोसै ही कहा जाता था। यह जानना भी रोचक होगा कि आज चाहे हम दोसा को तमिल नाम मानते हो किंतु तमिल में यह नाम उत्तर भारत में झारखंड में पहले बोली जाने वाली द्रविड़ परिवार की ही किसी भाषा से संबद्ध बताया जाता है। दोसा के प्राचीन सूत्र-अवशेष उत्तर में आज भी हैं। झारखंड में यह धुस्का है जिसे संस्कृत के धोसक से व्युत्पन्न मानते हैं। धुस्का व्यंजन के घटक भी वही दो हैं जो दोसा के अर्थात् दाल और चावल का घोल, किंतु पाक विधि में अंतर है। धुस्का जहां तल कर बनाया जाता है वहीं दोसा, जैसा कि आप जानते हैं, तवे पर फैलाकर।
हां तो किसी ऐतिहासिक काल खंड में कहीं से कभी तोसै शब्द तमिल में पहुंच गया (यह स्वाभाविक था) और संपूर्ण दक्षिण भारत में फैल गया। यही तोसै मलयालम् में दोसा, कन्नड़- तेलुगु में दोसै कहा जाता है। दक्षिण की अनेक बोलियों में भी यह दोसे या दोसा के रूप में है। उत्तर भारत में मलयालम के दोसा नाम को अंग्रेजी के माध्यम से अंग्रेजी वर्तनी (DOSA) का हिन्दीकरण करके अपनाया गया डोसा कहकर। तमिल में "ड" ध्वनि है ही नहीं, इसलिए वहां यह डोसा हो भी नहीं सकता, "तोसै" है।
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