एक प्रश्न मिला है - नवरात्र या नवरात्रि में कौन-सा शब्द शुद्ध है?
छोटा-सा उत्तर है - दोनों ठीक हैं।
'नवरात्र', नौ रातों का समूह (द्विगु समास) है जो एक विशेष अर्थ में रूढ़ हो गया है। ''शब्दकल्पद्रुम" के अनुसार (नवरात्रं - नवानां रात्रीणां समाहारः । तत् साधनत्वेनास्त्यस्येति अच्)
मुख्यतः आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन का दुर्गा उत्सव, शारदीय नवरात्र कहे जाते हैं तथा गौणतः चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक वासन्ती नवरात्र। वर्ष में दो नवरात्र और भी माने गए हैं।
चार नवरात्रियों का संकेत मात्र पर्याप्त है। वे हैं-
चैत्र में प्रथम वासंती नवरात्रि, चौथे माह आषाढ़ में दूसरी, आश्विन मास में तीसरी, प्रमुख शारदीय नवरात्रि होती है। इसी प्रकार माघ मास में चौथी नवरात्रि का महोत्सव मनाने का विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
'नवरात्रि' शब्द में किन्हीं भी नौ रातों का उल्लेख भर है, यह किसी विशेष अर्थ का द्योतक नहीं। नवरात्रियाँ नवरात्र की भी हो सकती हैं, भिन्न संदर्भ की भी।
नवरात्र शब्द से अनेक आंचलिक स्वरूप विकसित हुए हैं जो इस दुर्गाउत्सव की व्यापक स्वीकार्यता के प्रमाण भी हैं।
नवरात्र के आंचलिक रूपांतरण हैं : नौरता, नौरात्रा, नौरात्रे, नौरातर, नवराता, नवरता, नौर्त, नउरता, नवरात आदि।
"आगम भौ नवरात को
सबको मन हुलसात।
लखन रामलीला ललित,
सजि सजि सबही जात।।"
—भारतेंदु हरिश्चंद्र
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