शब्द-विवेक : यथा-तथा
हिंदी में यथा (अव्यय) का प्रयोग स्वतंत्र रूप में कम होता है। केवल उदाहरण देने के लिए 'जैसे' के अर्थ में तत्सम प्रधान शैली में साहित्यिक प्रयोग दिखाई देता है। यथा से निर्मित संयुक्त शब्द बहुत से प्रचलित हैं; जैसे: यथायोग्य, यथासंभव, यथोचित, यथा स्थान, यथा निर्देश, यथावत आदि।
तथा का यथा के विपरीतार्थक के रूप में स्वतंत्र प्रयोग केवल कुछ कहावतों में मिलता है जैसे - यथा राजा तथा प्रजा। अन्यत्र तथा का प्रयोग योजक के रूप में स्वतंत्र रूप से कम, 'और' के विकल्प के रूप में अधिक दिखाई पड़ता है; वह भी तब, जब एक वाक्य में और का प्रयोग करने के बाद कुछ जोड़ना शेष रह जाए तो यह और की पुनरुक्ति से बचाता है।
तथा से एक शब्द निर्मित होता है तथ्य, जैसा है वैसा होने का भाव, अर्थात सत्य। यथा से यथ्य नहीं बनेगा। यथार्थत्व, याथार्थ्य, बन सकते हैं जिनका अर्थ भी तथ्य के निकट है।
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