उत्तर भारत में कोई भी दावत चाहे शादी-ब्याह की हो या घरेलू मेहमानदारी की , पनीर से बने व्यंजन के बिना अधूरी मानी जाती है। अविभक्त पंजाब में इसका बहुत चलन रहा है।
पनीर फटे/फाड़े हुए दूध का घन अंश है। छेना भी कहा जाता है। पनीर शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी से है। चलन चूँकि पंजाब और पाकिस्तान में अधिक है, इसलिए यह भी संभव है कि पनीर पंजाबी या उत्तर पश्चिम की किसी भाषा से फ़ारसी में गया हो।
पंजाब में अश्वगंधा के बीजों, फूलों को 'पनीरी' कहा जाता है जो दूध फाड़कर पनीर बनाने के काम आते हैं। जैसे दही जमाने के लिए जामन, उसी प्रकार दूध फाड़कर पनीर बनाने के लिए पनीरी, जिसका मुख्य घटक अश्वगंधा नाम की वनस्पति है। अश्वगंधा को ऋष्यगंधा भी कहते हैं जिसका वैज्ञानिक नाम Withania Coagulans है। इसके फूल 'पनीर डोडा' या पनीर का फूल। आजकल लोग सिरका या नींबू के रस को ही प्रयोग में लाते हैं।
पंजाबी में सब तरह के छोटे पौधों को , जिन्हें कहीं भी लगाया जा सकता है (हिंदी में बेहन, saplings) या बेहन की क्यारी को भी पनीरी कहा जाता है।
तमिऴ में पन्नीर-பன்னீர் सुगंधित जल, गुलाब जल को कहा जाता है। तमिलनाडु में जयललिता के जमाने के एक नेताजी का नाम 'पन्नीर सेल्वम्' याद होगा। इसका अर्थ है பன்னீர் (பனி நீர் सुगंधित जल). सेल्वम् (செல்வம் भंडार)। तमिलनाडु में एक सोडा भी मिलता है जिसका नाम है पनीर सोडा, सुगंधित सोडा जल!
पनीर से बने व्यंजन ही नहीं मुहावरे भी हिंदी, उर्दू, पंजाबी में लोकप्रिय हैं। पनीर चटाना अर्थात अपना काम निकालने के लिए किसी को खिलाना-पिलाना और खुशामद करके वश में कर लेना। पनीर जमाना- ऐसी बात करना जिससे आगे चलकर कोई बहुत बड़ा उद्देश्य या स्वार्थ सिद्ध हो। पनीरी लगाना- कोई वस्तु या अनुकूलता प्राप्त करने के उद्देश्य से आरंभिक कार्य करना।
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