जहाँ लोक ने अंग्रेजी भाषा पर वर्चस्व स्थापित किया- १
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भाषा को भाषा शास्त्र या व्याकरण उतना नहीं चलाता जितना लोक चलाता है। सर्वाधिक समर्थ और विद्वान वैयाकरण पाणिनि ने भी यह स्वीकार किया है की शास्त्रीय प्रयोग से बढ़कर है लोक का प्रयोग।
अंग्रेज भले ही इस देश पर दो-तीन सौ वर्ष छाए रहे हों, उनकी भाषा आज भी प्रभुत्व और स्टेटस की भाषा हो, लोक ने उसे अपने ढंग से स्वीकार किया।
यहाँ बहुत थोड़े से स्थान नामों के उदाहरण हिंदी क्षेत्र से दिए जा रहे हैं जो सिद्ध करते हैं कि कैसे लोक ने अपनी समझदारी और सुविधा से कुछ अंग्रेजी स्थान नामों का नामकरण किया है, देश भर में तो ऐसे सैकड़ो उदाहरण मिल जाएँगे।
*कलेक्टर गंज > कलट्टरगंज (लखनऊ)
*विक्टोरिया बाज़ार > टूड़िया/टुड़िया बाजार (लखनऊ)
*गार्डन > गर्दन > गर्दन बाग > गर्दनिया बाग (पटना)
*गॉड्स ओन विला > गोदौलिया > गुदौलिया। (वाराणसी)
*मेटकॉफ हाउस > मटका हौस (दिल्ली)
*Behind the Bazar = Bhindi Bāzar भिंडी बाज़ार (मुम्बई)
*प्लैटून बाज़ार> पल्टन बजार (अनेक छावनी शहरों में)
*रापट गंज - रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)
*मैक्लोडगंज - मेकलॉर्ड्सगंज (हिमाचल)
*ड्यूकरेल - डक्क्रेल (अररिया जिला, बिहार)
*ग्रियर्सन > गिलेशन (मधुबनी)
*मेड अगेन=> मैदागिन (वाराणसी)
*टेक ओवर=> टेकउर (वाराणसी)
*आइज़ेड नगर > इज्ज़त नगर (बरेली, उत्तर प्रदेश)
आप भी कुछ और उदाहरण दीजिए...
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स्वीकरण:
ब्लॉग के कुछ शब्द अभिषेक अवतंस के ट्वीट से प्रेरित
Gnananandapur - G.N.Pur - जीयनपुर (जौनपुर)
जवाब देंहटाएंकूच-ए-बहार - कूड़ेभार (सुल्तानपुर)
Johnstonganj - जॉनस्टनगंज - जानसेनगंज (इलाहाबाद/प्रयागराज)