हरद्वार या हरिद्वार ?
पुराणों के अनुसार मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में परिगणित "अयोध्या मथुरा माया..." की मायापुरी ही वर्तमान में हरिद्वार/हरद्वार के नाम से प्रसिद्ध है।
हरिद्वार नाम लोकप्रयोग में हरद्वार है। पुराने प्रलेखों, सरकारी दस्तावेजों, कोर्ट-कचहरी के कागज़ात में हरद्वार नाम मिलता है।
हरद्वार/हरिद्वार के अन्य पौराणिक नाम हैं- गंगाद्वार, माया, कपिलस्थान। युवान् च्वांग ने इसे मो-यू-लो (मायापुरी?) कहा है। पुराणों में इसकी विशद चर्चा है और माना गया है कि समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कलश से छलकी एक बूँद यहीं हर की पौड़ी (पैड़ी) में गिरी थी। इसलिए यहाँ भी 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।
हरद्वार/हरिद्वार में शैव और वैष्णव दृष्टि का भी अंतर है। हिमालय हर की ससुराल है, ज्योतिर्लिंग केदारेश्वर सहित पाँच केदार (रुद्र, तुंग, कल्प, मध्यमहेश्वर और केदारेश्वर) इसी प्रखंड में हैं, इसलिए यह "हरद्वार" है और नर-नारायण स्वरूप बदरीनाथ का प्रवेश मार्ग होने से यह "हरिद्वार" भी है।
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ऋषिकेश : भ्रामक व्युत्पत्ति का उदाहरण
प्रसिद्ध तीर्थ ऋषिकेश का नाम लोकव्युत्पत्ति (folk etymology) का अनूठा उदाहरण है, लगता तत्सम है, पर है नहीं। ऋषि और केश दोनों से इसका कोई लेना-देना नहीं। यह है हृषीकेश (हृषीक+ईश = ज्ञानेन्द्रियों का स्वामी), विष्णु का एक नाम।
एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्॥ ~ श्रीमद्भगवद्गीता ,१:२४॥
हृषीकाणीन्द्रियाण्याहुस्तेषामीशो यतो भवान्।
हृषीकेशस्ततो विष्णु: ख्यातो देवेषु केशव ॥
महाभारत
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https://thefollowup.in/news/-rishikesh-was-named-after-lord-vishnu--named-hrishikesh-4185.html
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