थाली
इधर कुछ विशेष घटनाओं ने थाली शब्द को बहुत प्रसिद्ध कर दिया है। इसकी व्युत्पत्ति पर ध्यान जाना स्वाभाविक है। इसे संस्कृत के स्था धातु से निष्पन्न माना जा सकता है किंतु रोचक यह है कि संस्कृत में स्थाली का अर्थ थाली नहीं है। स्थाली भोजन पकाने का मिट्टी का बर्तन है। स्था धातु से ही एक दूसरा शब्द बनता है स्थाल जिसका अर्थ भोजन बनाने का पात्र और भोजन करने का पात्र दोनों हैं। स्थाल > थाल से ही स्त्रीलिंग शब्द बनता है थाली अर्थात छोटा थाल। थाली के प्रमाण इतिहास में बहुत पीछे तक जाते हैं हड़प्पा सभ्यता (3500 - 2500 ईपू) के प्राचीन स्थल कालीबंगा की खुदाई में जो पात्र मिले हैं उनमें थाली लोटा भी हैं। मूलतः थाली मिट्टी की बनी होती थी किंतु अब धातु से निर्मित होती है। यह जानना रोचक हो सकता है कि उस जमाने में थाली केवल अमीर लोग प्रयोग में लाते थे। गरीबों के लिए शायद पात या पत्तल हो या कौन जाने वे करपात्री बनते हों।
आज प्रयोग की दृष्टि से देखें तो हिंदी में थाली एक पात्र भी है और पात्र में परोसे गए संपूर्ण व्यंजनों के लिए एक सामूहिक नाम भी। इस प्रकार गुजराती थाली, बंगाली थाली, व्रत वाली थाली, वेज/नॉनवेज थाली आदि शब्द खूब प्रचलन में हैं। लोक में थाली का उपयोग भोजन के अतिरिक्त पीटने- बजाने के लिए भी होता है। बस्ती में घुस आए जंगली पशु को भगाने के लिए, शिकार के लिए हांका लगा कर बाघ आदि को एक दिशा की ओर भगाने के लिए भी थाली-ढोल आदि बजाने की प्रथा है।
ताली
ताली के अनेक अर्थों में से दो अर्थ हिंदी में विशेष हैं हथेलियों के परस्पर पीटने से उभरी हुई ध्वनि और ताला खोलने की कुंजी। कहीं-कहीं छोटे ताले को भी ताली कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत की तालिका शब्द से हुई है जिसका अर्थ है हथेलियों को परस्पर पीटकर उत्पन्न ध्वनि। हिंदी में तालिका और ताली दोनों शब्द हैं और भिन्न अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। तालिका का तात्पर्य सूची या चार्ट से है। शिव का एक नाम भी ताली/तालिन है। ताली का महत्व शास्त्रीय संगीत में भी है। निश्चित स्थान पर ताल के अनुसार ताली बजाई जाती है और भजन-कीर्तन में भी। व्यवहार में किसी की सराहना के लिए ताली बजती है। यों ताली पीटना, ताली बजना दोनों मुहावरे भी हैं जिनका अर्थ उपहास करना/होना है। नेता, वक्ता और कवि ताली के विशेष तलबगार होते हैं। यों ताली बजाना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
किसी का ध्यान आकर्षित करने या बुलाने के लिए भी ताली बजाई जाती है किंतु इसे सभ्य व्यवहार नहीं माना जाता। तंत्र-मंत्र के साधक भी मंत्र प्रयोग में, उच्चाटन आदि में ताली का उपयोग करते हैं।
इधर कुछ विशेष घटनाओं ने थाली शब्द को बहुत प्रसिद्ध कर दिया है। इसकी व्युत्पत्ति पर ध्यान जाना स्वाभाविक है। इसे संस्कृत के स्था धातु से निष्पन्न माना जा सकता है किंतु रोचक यह है कि संस्कृत में स्थाली का अर्थ थाली नहीं है। स्थाली भोजन पकाने का मिट्टी का बर्तन है। स्था धातु से ही एक दूसरा शब्द बनता है स्थाल जिसका अर्थ भोजन बनाने का पात्र और भोजन करने का पात्र दोनों हैं। स्थाल > थाल से ही स्त्रीलिंग शब्द बनता है थाली अर्थात छोटा थाल। थाली के प्रमाण इतिहास में बहुत पीछे तक जाते हैं हड़प्पा सभ्यता (3500 - 2500 ईपू) के प्राचीन स्थल कालीबंगा की खुदाई में जो पात्र मिले हैं उनमें थाली लोटा भी हैं। मूलतः थाली मिट्टी की बनी होती थी किंतु अब धातु से निर्मित होती है। यह जानना रोचक हो सकता है कि उस जमाने में थाली केवल अमीर लोग प्रयोग में लाते थे। गरीबों के लिए शायद पात या पत्तल हो या कौन जाने वे करपात्री बनते हों।
आज प्रयोग की दृष्टि से देखें तो हिंदी में थाली एक पात्र भी है और पात्र में परोसे गए संपूर्ण व्यंजनों के लिए एक सामूहिक नाम भी। इस प्रकार गुजराती थाली, बंगाली थाली, व्रत वाली थाली, वेज/नॉनवेज थाली आदि शब्द खूब प्रचलन में हैं। लोक में थाली का उपयोग भोजन के अतिरिक्त पीटने- बजाने के लिए भी होता है। बस्ती में घुस आए जंगली पशु को भगाने के लिए, शिकार के लिए हांका लगा कर बाघ आदि को एक दिशा की ओर भगाने के लिए भी थाली-ढोल आदि बजाने की प्रथा है।
ताली
ताली के अनेक अर्थों में से दो अर्थ हिंदी में विशेष हैं हथेलियों के परस्पर पीटने से उभरी हुई ध्वनि और ताला खोलने की कुंजी। कहीं-कहीं छोटे ताले को भी ताली कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत की तालिका शब्द से हुई है जिसका अर्थ है हथेलियों को परस्पर पीटकर उत्पन्न ध्वनि। हिंदी में तालिका और ताली दोनों शब्द हैं और भिन्न अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। तालिका का तात्पर्य सूची या चार्ट से है। शिव का एक नाम भी ताली/तालिन है। ताली का महत्व शास्त्रीय संगीत में भी है। निश्चित स्थान पर ताल के अनुसार ताली बजाई जाती है और भजन-कीर्तन में भी। व्यवहार में किसी की सराहना के लिए ताली बजती है। यों ताली पीटना, ताली बजना दोनों मुहावरे भी हैं जिनका अर्थ उपहास करना/होना है। नेता, वक्ता और कवि ताली के विशेष तलबगार होते हैं। यों ताली बजाना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
किसी का ध्यान आकर्षित करने या बुलाने के लिए भी ताली बजाई जाती है किंतु इसे सभ्य व्यवहार नहीं माना जाता। तंत्र-मंत्र के साधक भी मंत्र प्रयोग में, उच्चाटन आदि में ताली का उपयोग करते हैं।
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