हिंदी की सांस्कृतिक शब्दावली में एक शब्द है "जूठा।" किसी के द्वारा खाना खाते हुए छुआ, खाने के बाद बचा अन्न, पीने से बचा पानी, जिस थाली या गिलास में खाया-पिया गया हो, खाना खाने वाले हाथों से छुआ हुआ पात्र आदि सबके लिए "जूठा" विशेषण का प्रयोग किया जाता है। एक बार की रसोई में प्रयुक्त सभी बर्तन भी जूठे माने जाते हैं। इतना ही नहीं, भोजन के बाद पूरा चौका जूठा हो जाता है। नए सिरे से सफाई के बाद ही इसका उपयोग किया जाता है। स्वच्छता की दृष्टि से यह अच्छी परंपरा है।
पश्चिमी सभ्यता में "जूठा" की कोई विशेष संकल्पना ही नहीं है, इसलिए जूठा के लिए कोई उपयुक्त शब्द भी नहीं है। वे leftover food, remnants, pickings, refuse, garbage से काम चलाते हैं या lier food जैसे हास्यास्पद अनुवाद दिखाई देते हैं।
√जुष् धातु का अर्थ प्रसन्न करना, पसंद करना, बसना आदि है। श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण का यह वचन देख सकते हैं।
"अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।"
हे अर्जुन, तुम्हारे मन में यह विचार आया कैसे जो जिसका आचरण अनार्य (जीवन मूल्यों को न मानने वाले) करते हैं।
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