मार-धाड़
मारधाड़ हिंदी का युग्म शब्द है जिसके दोनों घटक सार्थक हैं और परस्पर पूरक भी। मार के अनेक अर्थों में से दो अर्थ सामान्यतः अधिक प्रचलित हैं- पीटना-कूटना और जान से मार देना। इसके प्रचलित युग्म हैं - मार-काट, मार-पीट और मार-धाड़। मार-काट या मार-पीट तो मारना के साथ काटना, पीटना के समास हैं। मार-धाड़ के बारे में कहीं कहा गया है कि किसी अंचल विशेष में धाड़, धाड़ा से बना है। धाड़ा का अर्थ डकैती, लूटपाट आदि हैं। उनके अनुसार डाकू जब धाड़ा करने आते हैं तो गोलीबारी और अफरा-तफरी में लोगों की जानें भी जा सकती हैं। इसलिए शब्द बना मारधाड़। मारधाड़ की यह व्याख्या सीधे अर्थ के लिए बहुत दूर भटकने का उदाहरण है, दूर की कौड़ी बुझाना भी कह सकते हैं।
मारधाड़ वाले 'धाड़' की व्युत्पत्ति दो प्रकार से की जा सकती है। धाड़ अनुकरण वाची शब्द हो सकता है, जैसे धड़ाम। धड़ाम-से गिर पड़ा को धाड़-से गिर पड़ा भी कहा जाता है। मार-काट मचाई तो मरने-पिटने वाले धाड़-से नीचे गिरेंगे, सो शब्द बना मार-धाड़!
अधिक तर्कसंगत यह है कि धाड़ शब्द 'दहाड़' से बना हो। 'द' के साथ महाप्राण 'ह' मिलकर उच्चारण में महाप्राण 'ध' बनना स्वाभाविक है। मुहावरा भी है- दहाड़ मारकर रोना (धाड़ मारकर रोना) अर्थात चीत्कार करते हुए रोना। यह धाड़ वाला दहाड़ शेर की दहाड़ से भिन्न है! उस दहाड़ में गरज है वीरता और आतंक है और धाड़ में चीत्कार।
सोचिए, यदि मारना क्रिया ही न हो तो लोग धाड़ें मारकर क्यों रोएँगे और मारधाड़ कैसे होगी!
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