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॥भद्रं भद्रं वितर भगवन्॥

॥ भद्रं भद्रं वितर भगवन्...॥

पोस्ट का आशय किसी की भावनाओं को चोट पहुँचाना यह किसी उत्सवी मन का मजाक उड़ाना नहीं है. भद्रा के साथ ज्योतिषियों ने इतना डरावना माहौल कैसे बना दिया पता नहीं. लोगों ने राखी बाँधने से ही परहेज नहीं किया, कुछ लोगों ने तो फेसबुक में भी भद्रा बीतने के बाद ही शुभकामनाएँ देना शुरू किया! 
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मिथकों की बात छोड़ दें तो भाषिक तर्क यह कहता है कि 'भद्रा' को डरावना नहीं होना चाहिए. जो शब्द भद्र (=भला) से बना हो, उसमें अशुभ की आशंका कैसी! संस्कृत कोष देखें तो इस भद्रा के बीसियों अर्थों में अशुभ तो कोई भी नहीं है. ''सर्वे भद्राणि पश्यन्तु...",  "भद्रं-भद्रं वितर भगवन् ..." जैसी सूक्तियाँ; भद्रे!, हे भद्रमुख! -- ऐसे प्यारे विशेषण हैं कि पूछिए मत. 'भद्रा' कुछ देवियों का नाम है और गाय को भी भद्रा कहा जाता है. 
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एक बात ज़रूर रोचक है. हिंदी मे इस 'भद्र' से ही दो परस्पर विलोम शब्द बने हैं. भला और भद्दा! भद्र > भल्ल > भला; और भद्र > भद्दअ > भद्दा !
रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ। 
धरती माँ ने मामा को इस साल विशेष राखी भेजी है।


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