एवरेस्ट, चीन और नेपाल की सीमा पर हिमालय का सर्वोच्च शिखर। नाम तत्कालीन भारत के सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट (CB FRS FRAS FRGS) के नाम पर रखा गया, यद्यपि आंकडों के आधार पर ऊँचाई तय की थी देहरादून के ऑफिस में बैठे राधानाथ सिकदर नाम के कर्मचारी ने। विडंबना यह रही कि अपने जीवनकाल में एवरेस्ट पर्वत को न जनरल एवरेस्ट देख पाए, न राधानाथ सिकदर।
पर्वत दो देशों की सीमा पर है और दोनों देशों में इसके नाम अलग हैं। नेपाल में सगरमाथा और चीन (तिब्बत) में ཇོ་མོ་གླང་མ (चोमो लुंगमा)। भारत में यह एवरेस्ट और सागरमाथा इन दोनों नामों से जाना जाता है, यद्यपि एक नाम और ढूँढ़ा गया है देवगिरि। कुछ नवोन्मेषी भारतीय इसे राधानाथ सिकदर का नाम देना चाहते हैं। यह प्रयास 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसा है क्योंकि पर्वत भारत का नहीं, चीन-नेपाल का है तो भारत नामकरण संस्कार कैसे कर सकता है!
यहाँ विचार किया जाएगा कि एवरेस्ट के नेपाली प्रचलित नाम की व्युत्पत्ति क्या है और कितनी ठीक है। नेपाली भाषा में इसे सागर/सगर माथा कहा जाता है। माथा शब्द संस्कृत भाषा के मस्तक से बना है। नाम सागर माथा मानें तो अर्थ होगा सागर का माथा। कहाँ सागर और कहाँ माथा, स्पष्ट ही यह दूरान्वय-सा लगता है। कुछ इसे सगर माथा मानते हैं और अर्थ करते हैं "स्वर्ग का मस्तक"। यहाँ कठिनाई यह है कि सगर नाम के एक राजा का पुराणों में उल्लेख है, उसके मस्तक का नहीं। न सगर शब्द स्वर्ग का पर्याय है। सगर का शाब्दिक अर्थ है स-गर अर्थात् विष (गरल) सहित, ज़हरीला, विषैला। इतने आकर्षक शिखर के लिए ज़हरीला नाम कल्पनातीत है।
वस्तुतः यह शब्द 'सरग' है जो संस्कृत स्वर्ग से व्युत्पन्न है। स्वर्ग का एक अर्थ आकाश भी है। स्वर्ग के तद्भव रूप सरग का प्रयोग आकाश के अर्थ में हिंदी और उसकी सह-भाषाओं में बहुत मिलता है।
"रहिमन जिह्वा बावरी, कह गयी सरग-पताल।।"
नेपाली और कुमाउँनी भाषाओं में भी सर्ग/सरग आकाश के लिए है। ("सरग-पताल" = आकाश-पाताल)। वर्ण विपर्यय से 'सरग' को 'सगर' कर दिया गया और सबसे ऊँचा पर्वत होने के कारण माथा (मस्तक) तो वह है ही। इस प्रकार वर्णविपर्यय से सरग माथा बना सगर माथा और संभवतः रोमन लिपि Sagar Matha के कारण या मुखसुख के कारण बना सागर माथा। आज यही नाम प्रसिद्ध है।
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