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छह और छठा

छह
अंक ६ को छः लिखना आम चलन हो गया है। हिंदी छह का विकास संस्कृत षट् से हुआ है। संस्कृत षट् > पालि/प्राकृत छ (छअ)> अपभ्रंश/हिंदी> छह। अपभ्रंश से हिंदी में आए छह का उच्चारण पदांत अ-कार (schwa) के लोप के कारण छह् हो गया‌ और ह् का उच्चारण विसर्ग (:) जैसा होने के कारण छह को छ: लिखा जाने लगा। 
संख्यावाची शब्द "छह" के "छः" लिखे जाने के कारण का विमर्श करते हुए आचार्य किशोरीदास वाजपेयी की स्थापना रोचक है। वे मानते हैं कि दरबार की भाषा फ़ारसी होने के कारण पढ़ा लिखा वर्ग फ़ारसी/उर्दू का समर्थक हो गया और हिंदी वे थोड़े से लोग पढ़ रहे थे जो संस्कृत भी नहीं सीख पाते थे। उन्होंने उच्चारण साम्य के कारण छह को : से छः लिखना प्रारंभ किया। मन में यह तर्क था कि विसर्ग तो संस्कृत होने का प्रमाण है। जो चीज संस्कृत से आए वह शुद्ध, इसलिए छः में ऐसी जड़ जमा दी कि अब उसे हिलाना भी कठिन है। 
उर्दू में पहुँचते-पहुँचते उर्दू की लिपि में लिपि में چ (च) तथा ھ (दो चश्मी ह) को मिला कर چھ छ अक्षर लिखा जाता है। यही ६ अंक लिखने के लिए भी प्रयुक्त होता है और इस का उच्चारण "छे" किया जाता है। इससे छह को छः लिखकर भी छे/छै पढ़ा और बोला जाने लगा। शब्द में अ के बाद ह आने पर अ का उच्चारण ऎ के निकट होता है। इसलिए भी छह को छॆ कहा जाता है।
छह को छः लिखने का कोई व्याकरणिक आधार नहीं है क्योंकि हिंदी में केवल तत्सम (संस्कृत से मूल रूप में आगत ) शब्दों में ही विसर्ग हैं; जैसे- अतः, प्रातः, पुनः, पूर्णतः, प्रायः।और ऐसे शब्द बहुत कम हैं। 
इस दुराग्रह को थोड़ी देर के लिए मान भी लें (कुछ कोश मानते भी हैं) तो छः के तिर्यक रूप नहीं बन सकते। कारक प्रत्यय जोड़ने से पहले पुल्लिंग मूल शब्द के साथ '-ओं ' प्रत्यय जुड़कर कारक प्रत्यय के लिए आधार तैयार करता है; जैसे - दोनों हाथ जोड़ो, तीनों को जाना है, चारों लड़कियाँ खेलें। इसी प्रकार पाँचों, सातों, आठों आदि। विसर्गो के साथ '-ओं' नहीं जुड़ सकता।
छठा
छह से क्रमवाचक विशेषण बनता है "छठा", "छठी" जो संस्कृत में षष्ठ > प्राकृत में छट्ठ/छट्ठा, हिंदी में छठा हैं। लोक पर्व छठ, छठी इन्हीं के रूप हैं। छठा के लिए पाँचवाँ, सातवाँ, आठवाँ के सादृश्य से "छवाँ"/"छठवाँ" भी दिखाई देता है, जो ग्राह्य नहीं है। छठवाँ में तो ठा और वाँ दोनों का प्रयोग वस्तुत: अनावश्यक दुगुन है। 
हिंदी क्रमसूचक गणना में प्रारंभ की 6 संख्याओं में कुछ अनियमितता मिलती है, किंतु कथित अनियमितता में भी रूप स्थिर हो चुके हैं।
एक दो तीन चार पाँच छह
1 2 3 4 5 6
पहला दूसरा तीसरा चौथा पाँचवाँ छठा
१ला २रा 3रा ४था ५वाँ ६ठा
7 से आगे सब संख्याओं में "-वाँ" रूपिम जुड़ता है - बीसवाँ, सौवाँ, हजारवाँ।

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