जोरू-जाँता
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जोरू का अर्थ है-- स्त्री, पत्नी, भार्या, घरवाली, औरत, बीवी।
जोरू शब्द की उत्पत्ति हिंदी के "जोड़ा" से कही जाती है और जोड़ा बना है संस्कृत के योटक से। (√यौट् बाँधना, जोड़ना to bind, to tie, to fasten together.)। ज्योतिष में ग्रह, राशि और नक्षत्रों के अनेक योटक (मेल) बनते हैं; जैसे षडकाष्टक (कुमाउँनी में खड़काश्टक्) एक योटक है। योटक से जोटा, जोटा से जोड़ा और जोरू के आने पर ही जोड़ा पूरा होता है। कुछ लोग जोरू शब्द को देशज भी मानते हैं। कहते हैं जिसके ज़ोर के आगे किसी का ज़ोर न चले, वह जोरू।
जोरू-जाँता में जाँता (यन्त्र > जाँत > जाँता) का अर्थ है चक्की। पहले ग्रामीण जीवन में प्रत्येक घर में चक्की अवश्य होती थी जो गृहस्थी का अनिवार्य अंग थी। जोरू है तो जाँता भी चलता रहेगा, गृहस्थी भी। इसलिए जोरू-जाँता का अर्थ हुआ गृहस्थी, घर-परिवार, घर-बार । कहीं इसे जोरू-जाता भी कहा जाता है। जाता = जात अर्थात् पैदा हुआ। जोरू-जाता अर्थात् पति-पत्नी और उनकी संतानें, कुटुंब।
जोरू का ग़ुलाम मुहावरे का अर्थ है पत्नी का भक्त या उसके वश में रहने वाला।
समाज के कुछ वर्गों में आम बोलचाल में जोरू शब्द का प्रयोग होता है। कुछ तो व्यक्तिगत रुचि के कारण और शिष्ट भाषा परिवेश के आग्रह के कारण भी, लोग जोरू के स्थान पर पत्नी शब्द का प्रयोग करते हैं। पत्नी थोड़ा शिष्ट प्रयोग है और तत्सम भी; इसलिए पत्नी के साथ ग़ुलाम न सही, भक्त शब्द तो लग ही सकता है।
पत्नी भक्त कहें या जोरू का गुलाम, सो बात एक ही है।
बताइए, आप क्या कहलाना पसंद करेंगे? नाराज़ न हों, कौन नहीं है !?
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