अंग्रेजी में एक विशेषण है hot जिसका अर्थ गर्म के अतिरिक्त तेज, उद्दीपक, कामुक भी है। मिर्च के तीखे स्वाद के लिए भी hot का ही प्रयोग किया जाता है। हिंदी (खड़ी बोली) में भी अंग्रेजी की ही भाँति मिर्च के स्वाद के लिए स्वतंत्र शब्द-विशेष नहीं है। तीता, कड़वा या तीखा से काम चलाया जाता है किंतु कुमाउँनी, गढ़वाली, नेपाली आदि पहाड़ी भाषा वर्ग में एक शब्द है झौइ/झौलि/झलिय। यह संस्कृत के ज्वल् (जलना), ज्वाला (आग की लपट) से व्युत्पन्न है। इसी ज्वाला से बांग्ला, असमी, ओड़िया में शब्द है जॉल/झौल। भोजपुरी, मगही, मैथिली भाषाओं में भी संस्कृत #ज्वाल से निष्पन्न और बांग्ला से प्रभावित झाल शब्द पूर्वी उप्र, बिहार, झारखंड, ओडिसा में प्रचलित है। खड़ीबोली को लाँघकर राजस्थान में इस झाल के पहुंचने का एक कारण यह हो सकता है कि राजस्थानी व्यापारी समूह का बंगाल और असम में पिछली सदी से पूर्व से ही आना-जाना रहा है।
अंग्रेजी में एक विशेषण है hot जिसका अर्थ गर्म के अतिरिक्त तेज, उद्दीपक, कामुक भी है। मिर्च के तीखे स्वाद के लिए भी hot का ही प्रयोग किया जाता है। हिंदी (खड़ी बोली) में भी अंग्रेजी की ही भाँति मिर्च के स्वाद के लिए स्वतंत्र शब्द-विशेष नहीं है। तीता, कड़वा या तीखा से काम चलाया जाता है किंतु कुमाउँनी, गढ़वाली, नेपाली आदि पहाड़ी भाषा वर्ग में एक शब्द है झौइ/झौलि/झलिय। यह संस्कृत के ज्वल् (जलना), ज्वाला (आग की लपट) से व्युत्पन्न है। इसी ज्वाला से बांग्ला, असमी, ओड़िया में शब्द है जॉल/झौल। भोजपुरी, मगही, मैथिली भाषाओं में भी संस्कृत #ज्वाल से निष्पन्न और बांग्ला से प्रभावित झाल शब्द पूर्वी उप्र, बिहार, झारखंड, ओडिसा में प्रचलित है। खड़ीबोली को लाँघकर राजस्थान में इस झाल के पहुंचने का एक कारण यह हो सकता है कि राजस्थानी व्यापारी समूह का बंगाल और असम में पिछली सदी से पूर्व से ही आना-जाना रहा है।
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