इधर दो-तीन दशकों से राम लला शब्द अधिक प्रचलन में आया है यद्यपि इसका पहला प्रयोग तुलसी (1523-1632) की एक रचना "राम लला नहछू" में हुआ है। किसी नाम के साथ जुड़ जाने पर लला उसके बालक रूप का द्योतक हो जाता है। रामलला अर्थात बाल स्वरूप राम।
लला शब्द संस्कृत मूल का है। संस्कृत में √लल् धातु दुलारने, पुचकारने, लाड़- प्यार करने के अर्थ में है। इसी से लालन, लाल्य, लालनीय विशेषण बने हैं। लालयेत् पर एक प्रसिद्ध सूक्ति है
लालयेत् पञ्च वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ॥
बच्चे के लिए लाल, लल्ला, लल्ली, लालन बने हैं जो अवधी, ब्रज, बुंदेली आदि बोलियों में बहुत प्रयुक्त होते हैं। कुमाउँनी में देवर को लला/लल्ला कहा जाता है क्योंकि छोटा होने के कारण वह भी भाभी के लिए बच्चे के समान लालनीय होता था। तब विवाह छोटी उम्र में ही हो जाते थे।
कृष्ण के लिए भी लाल, लला, लल्ला विशेषणों का प्रयोग होता है। यहाँ इसका अर्थ।नन्हा, प्यारा, दुलारा के निकट है। पंजाबी का लोकप्रिय संबोधन, "ओए लाले दी जान !" इसी लाल से विकसित मानी जा सकती है।
प्यारे बच्चे के लिए लल्लू बहुप्रचलित नाम है। लल्लूलाल हिंदी के प्रसिद्ध लेखक हुए हैं। यही लल्लू लालू या ललवा के रूप में भी दिखाई देता है। लाक्षणिक प्रयोग में लल्लू शब्द बच्चे के भोलेपन का सूचक बन गया जो बुद्धू का वाचक हो गया।
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