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बहादुर नौकर - चाकर

बहादुर

बहादुर वीरता का द्योतक है। साहस शौर्य और पराक्रम का भी। नेपाल में तो यह अनेक नामों का विशेष अंग है, नेपाली अपनी बहादुरी के लिए जाने भी जाते हैं - यथा नाम, तथा गुण। पर यह शब्द आया कहाँ से?  इस शब्द का मूल तलाशते हुए आपको मंगोलिया जाना पड़ेगा। यह मूलतः मंगोलियन शब्द है बातुर। वहाँ इसका अर्थ है नायक, हीरो। "बातुर" महाशय जब मंगोलिया से ईरान होते हुए फ़ारसी में तब्दील होकर "बहादुर" बन भारत पहुँचे तो यहाँ वीर-बहादुर हो गए, जो किसी भी नायक का गुण होता है। 

इसी बहादुर का जाति भाई बातुर शब्द आज भी मंगोलिया की राजधानी का नाम है- 'उळन बातूर' अर्थात लाल हीरो! बातुर का मूल पुरा-भारोपीय शब्द IPA : /ˌboʊɡəˈtɪə(ɹ)/ से रूसी भाषा में богаты́рь  (bogatýrʹ), प्राचीन स्लाव में  богатꙑрь (bogatyrĭ), प्राचीन तुर्की में यह सम्भवतः  baɣatur‎ था जिसका अर्थ है नायक, हीरो। अब भी बातुर बहादुर के वंशजों में बचे शब्द हैं:  तुर्की - बहादिर, चुवास - पत्तार, किर्गिज़ - बातिर।

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नौकर

मध्ययुग में नौकर रखना संभ्रांतता का प्रतीक था, आज भी है। राजा महाराजाओं जमींदारों के नौकरों के अनेक किस्से लोक गाथाओं में बिखरे हुए हैं। यह शब्द मंगोलियन भाषा का "नोकुर" है। इसका मूल अर्थ वह नहीं था जो आज है। तब नौकर का अर्थ था मित्र जिसे आप चाहें तो प्रगतिशील भाषा में कॉमरेड कह सकते हैं, मने एक खास दोस्त। मंगोलिया से तुर्की होते हुए फ़ारसी के रास्ते चलकर यह शब्द जब भारत पहुँचा तभी दूसरा अर्थ देने लगा था सेवक का।

चाकर

नौकर की चर्चा में एक और शब्द की ओर ध्यान जाता है, चाकर। यह शब्द भी मूलतः मध्य एशियाई सोगदियन भाषा का है। यह भी तुर्की फ़ारसी से गुजरता हुआ भारत पहुँचा और इसकी दोस्ती हो गई चाकर से तो शब्दों की जोड़ी बनी नौकर - चाकर। पर थोड़ा ठहरें, चाकर का अर्थ भी वह नहीं था जो आज नौकर का हो गया है। चाकर बड़े राजाओं और संभ्रांत वर्ग के बहुत निकटस्थ मित्र और परम विश्वसनीय बहादुर रक्षक होते थे।

बेरोज़गारी के दौर में आज चाहे नौकरी चाकरी दुर्लभ हो, किंतु भक्तिकाल में इस शब्द का बड़ा महत्व था। भक्त भगवान की चाकरी करके भी उसके निकट पहुँचना चाहता था। मीरा को देख लीजिए:

स्याम म्हाँने चाकर राखो जी,

गिरधारी लाला, म्हाँने चाकर राखोजी।

चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।

बिंदरावन री कुंज गली में, गोविंद लीला गास्यूँ।

चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।

भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी।

स्याम म्हाँने चाकर राखो जी।

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