विश्व भर में प्रसिद्ध मसाला सरताज "एमडीएच" पिछले कुछ दिनों से देश के समाचारों की सुर्खियों में बना हुआ है। एमडीएच का पूरा नाम है महाशियाँ दी हट्टी अर्थात् भद्र लोगों की हट्टी। अब सवाल यह कि भाषा की चर्चा करने वाले मंच पर इस संदर्भ का क्या लेना देना? धैर्य रखिए, संबंध है। एक शब्द की व्युत्पत्ति के बारे में और उससे बने कुछ और शब्दों के बारे में एक रोचक जिज्ञासा जो आपसे साझा कर रहा हूंँ।
यह हट्टी शब्द संस्कृत के हट्ट से बना है, जिसका अर्थ है बाज़ार। संस्कृत के इस हट्ट से हिंदी में हाट, पंजाबी में हट्टी, बांग्ला में हाट, असमी में हाटी, ब्रज भाषा में हटड़ी, राजस्थानी में हटवाड़ा जैसे शब्द बने हैं। अनेक स्थाननामों के साथ हाट या हटवाड़ा, हटा, हाटा, हाटी शब्द जुड़े हुए हैं। ब्रह्मपुत्र के तट पर बसा गुवाहाटी तो प्राचीन और प्रसिद्ध नगर है। गुवाहाटी का शाब्दिक अर्थ है सुपारी बाज़ार! सुपारी असम घाटी का प्रसिद्ध उत्पाद है और गुवाहाटी सुपारी की मंडी।
हाट- बाज़ार करना एक मुहावरा बन गया है जिसका अर्थ है खरीदारी (शॉपिंग) करना। दिल्ली-नोएडा के लोग अट्टा पीर नामक स्थान को जानते हैं - किसी ज़माने का एक छोटा सा गाँव- नुमा बाज़ार आज बहुत बड़ा बाज़ार बन गया है। इसका संबंध भी हट् > हट्ट से जोड़ा जा सकता है। कुछ लोग इसे किसी पीर(?) का अड्डा भी मानते हैं।
अब एक और महत्वपूर्ण और रोचक पहलू। अपने देश में हड़तालों का एक लंबा इतिहास है और वह इतिहास हट्टी शब्द से जुड़ता है। हड़ताल का मूल भी हाट है। किसी अवसर पर बाजार का बंद हो जाना हाट में ताला लग जाना है और उसी से बना है हड़ताल किंतु आज हड़ताल बाजारों की ही नहीं, कामगारों की भी होती है और शिक्षक, छात्र, डॉक्टर, नर्स, किसानों की भी।
तो अगली बार कहीं हट्टी, हाट, हटवाड़ा देखें तो हड़ताल भी याद रखें।
जानकारी के लिए धन्यवाद ।बंगला में एक चलचित्र आया था हाटे बाजारे ।
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