बहू, पत्नी और स्त्री
वधू (√वह्+ऊधुक्) संस्कृत शब्द को पुरा-भारोपीय मूल का माना जाता है जो पालि में वधू, तेलुगु (वधुवु), कन्नड़ा (वधू) है। महाराष्ट्री, शौरसेनी प्राकृतों में वहू और हिंदी, उर्दू में बहू बन गया। वधू के हिंदी में अर्थ हैं नव विवाहिता स्त्री, दुलहन, पत्नी, भार्या, पुत्र की बहू, पतोहू।
ऋग्वेद में वधू शब्द का प्रयोग मिलता है।
सुमङ्गलीरियं वधूरिमां समेत पश्यत।
सौभाग्यमस्यै दत्त्वा याथास्तं वि परेतन॥
(ऋ.१०.८५.३३)
"यह वधू सुमंगली है। इसे सब देखें और इसे अखंड सौभाग्यका आशीर्वाद देकर ही अपने-अपने घर लौटें।"
यह मंत्र पारस्कर गृह्यसूत्रों में विवाह कर्मकांड के साथ उल्लिखित है। आजकल कुछ लोग विवाह के निमंत्रण पत्रों में इसे उद्धृत किया करते हैं।
कुछ लोग सत्संगी शैली में वधू/बहू को यों समझाते हैं:
1. वहन्ति इति वध्व:- जहाँ-जहाँ पति जाए उसको वहन करे।
2. वध्नन्ति इति वध्व: - जो पति को भुज पाश में बाँध ले। ये दोनों पहली ही दृष्टि में मुक्त व्याख्याएँ लगती हैं।
हरियाणवी तथा कुछ अन्य बोलियों में स्थान भेद से बहू का उच्चारण "बऊ" भी किया जाता है। कहीं बौ भी है।
पत्नी
किसी व्यक्ति की विधिपूर्वक विवाहिता स्त्री उसकी पत्नी कहलाती है। पत्नी अर्थात वह स्त्री जिसके साथ किसी पुरुष का लोक स्वीकृत रीति से विवाह हुआ हो । भाषा वैज्ञानिक इसका मूल पुरा-भारोपीय *pótnih (*पोत्नी) से मानते हैं जो *pótis (*पोतिस) का स्त्रीलिंग है। इसी से बना हुआ प्राचीन ग्रीक शब्द पोतीना है। अवेस्ता में भी यह शब्द पाया जाता है।
हिंदी में पत्नी शब्द संस्कृत से आया हुआ है और पति का स्त्रीलिंग है। संस्कृत में इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार की जाती है: √पा (रक्षा करना), जो रक्षा करे वह पति और पति के साथ न और ई प्रत्यय लगाकर पति का स्त्रीलिंग पत्नी।
पत्नी के कुछ पर्यायवाची शब्द हैं -जाया, भार्या, सहधर्मिणी, दारा, गृहिणी, पाणिगृहीता ।
स्त्री
सामान्यतः समूची नारी जाति (महिला, औरत) के लिए व्यवहार में आने वाला शब्द है। पशु-पक्षियों में स्त्री मादा प्रजाति को कहा जाता है। व्याकरण में स्त्री की पहचान निर्धारित करने वाला स्त्रीलिंग या स्त्रीलिंग- बोधक कोई शब्द केवल स्त्री से संकेत किया जाता है।
कुछ संदर्भों में यह पत्नी वाचक भी है; जैसे :
तुम्हारी स्त्री कहाँ है?
अगली बार अपनी स्त्री और बाल बच्चों के साथ आना।
स्त्री शब्द का मूल भारत-ईरानी *stríH माना जाता है। अवेस्ता, गांधार और दरदी भाषाओं में भी इस मूल के शब्द हैं। संस्कृत स्त्री शब्द पालि में इत्थि और प्राकृत में इत्थी है। हिंदी का तिय, तिया और तिरिया भी इसी से बने हैं। यह जानना रोचक होगा कि स्त्री शब्द की व्याप्ति प्रायः संपूर्ण दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में है। लगभग सभी भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त सिंहली, मलय, बाली, थाई, जावानी भाषाओं में भी स्त्री शब्द विद्यमान है।
आपने ने हिन्दी के बहुत अच्छ जानकारी दिया है. आप मेरे मार्गदर्शक हैं. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने हिंदी के कठिन शब्द से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
जवाब देंहटाएं