डड मेरु , पित्तीण और पिताना
लोक में अनेक शब्द ऐसे मिलेंगे जिनकी व्युत्पत्ति मालूम हो जाने पर आश्चर्य होता है कि वैज्ञानिक समझी जाने वाली संकल्पना को लोकभाषाओं में किस प्रकार सही अभिव्यक्ति मिली है और उसे सहेजकर रखा गया है।
हरियाणवी में एक शब्द है - डडमेरु ḍaḍamerū – चक्कर, उठते ही सिर घूमने से किसी व्यक्ति के गिर पड़ने की क्रिया। चक्कर खाना। (मेरु नाम से पुराणों में एक पर्वत का नाम भी है।) चक्कर आना मस्तिष्क के भाग अनुमस्तिष्क का सन्तुलन न रहना है। इसका सीधा सम्बन्ध मेरुदण्ड में से गुजरने वाली मेरुरज्जु से है। अतः डोलता हो मेरु जिसमें, ऐसी स्थिति डुलमेरु है।
इसके अन्य हरियाणवी रूप हैं - डडमेरा ḍaḍamerā, डुडमेरा ḍuḍamerā, डुडमेळा ḍuḍamel̤ā।
अत: डडमेरा/डुडमेरु/डुलमेळा < √डुल+मेरू (सं० )| √डुल-उत्क्षेपे (सं०)
(सौजन्य : ~अमित मुद्गल)
डुळमेरु की ही भाँति कुमाउँनी में एक नाम धातु है "पित्तीण" (गढवाळी में "पितेंण")। इसका संबंध पित्त रस (bile) से है। अग्न्याशय से पित्त का स्राव भोजन के निश्चित समय पर नियमित रूप से स्वतः होता है। उस समय नाश्ता, भोजन न मिलने पर स्वभाव में चिड़चिड़ापन, झुंझलाहट आ जाती है। कहा जाता है:
"ऐल तहूँ के जन कया, पित्ती रौ।"
(अभी उसे कुछ मत कहना, "पित्ती" रहा है।)
एक मैथिल मित्र ने बताया कुमाउँनी की ही तरह मैथिली में भी क्रोध आने के लिए 'पित्त चढ़ना', 'पिताना' ही सामान्यतः प्रयोग में आते हैं।
* पिताजी गुस्साये बैठे हैं ~ बाबू पिताएल बैसल छथि।
* गुस्सा मत दिलाओ ~ पित्त नहि चढ़ो।
* ऐसे गुस्साओगे तो कैसे चलेगा ? ~ एना पितेबही तs कोना चलतऊ ?
हरियाणवी में पिताणा/णो, पितावणा/पितावणो - चिड़चिड़ा होना, गुस्सा होना-करना, चैन न पड़ना, पित्त दोष से कष्ट होना। जैसे: साकळतींए पितणायो हांडा सा औखध लेले। (सुबह से ही पित्त दोष से दुखी होकर घूम रहा है, ओषधि ले ले।)
पितावण की गरज कोन्या। -(चिड़चिड़ाने, गुस्सा करने की कोई ज़रूरत नहीं।)
ओडिया में भी ऐसी ही अभिव्यक्तियाँ प्रचलित हैं। अन्य में भी होंगी क्योंकि ये मानव स्वभाव की मूल प्रवृत्तियों से जुड़ी हैं।
पित्त प्रवाह से जुड़े इस स्वभाव को आयुर्वेद में पित्त प्रकोप कहा गया है। पित्त प्रकोप के बारे में भावप्रकाश में कहा गया है:
"मध्याह्ने च यथार्धरात्रसमये पित्तप्रकोपो भवेत्।।"
दोपहर और अर्धरात्रि में पित्त प्रकोप होता है।
वामन शिवराव आप्टे भी अपने शब्दकोश में पित्त-प्रकृति का उल्लेख यों करते हैं:
"a bilious or choleric temperament."
अर्थात् bile (पित्त) से जुड़ा चिड़चिड़ापन, तुनुक मिज़ाजी।
अंग्रेजी में भी ठीक इसी तरह का एक विशेषण शब्द है जो bile (पित्त) से व्युत्पन्न है और ऐसी ही स्थिति का संकेत करता है जैसे पित्तीण या पिताना। शब्द है bilious (pertaining to bile or to excess secretion of bile.) अर्थ है - peevish; irritable; cranky, bad tempered.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें