"इसलिए" हिंदी का सर्वाधिक बारंबारता वाला क्रियाविशेषण अव्यय है जो प्रायः दो स्वतंत्र उपवाक्यों को जोड़ता है। यह यद्यपि स्वतंत्र शब्द है किंतु गठन की दृष्टि से सर्वनाम यह और √लेना के कृदंत तथा परसर्ग का अव्यय रूप है जो इस प्रकार दिखाया जा सकता है -- यह > इस (तिर्यक) + लिए । इसी के समकक्ष किसलिए, जिसलिए (कम प्रयुक्त) रचनाएँ क्रमशः कौन और जो सर्वनामों से निर्मित हैं।
संस्कृत में "अस्य कृते" इसलिए के अर्थ में है किंतु इसलिए की व्युत्पत्ति "अस्य कृते" से होना संदिग्ध लगती है। इसके समानान्तर हिंदी की बोलियों में 'लिए' के लागि, लगि, लगे, लाग रूप मिलते हैं जो √लग से बने हैं।
"सबु परिवारु मेरी याहि लागि, राजा जू,
हौं दीन बित्तहीन, कैसें दूसरी गढ़ाइहौं॥" ~तुलसी
जहाँ तक प्रकार्य का संबंध है, हिंदी में "इसलिए" दो स्वतंत्र उपवाक्यों को जोड़ता है और उनमें कार्य - कारण संबंध बताता है। जैसे:
वर्षा हो रही थी, इसलिए मैं नहीं आ सका ।
आपने बुलाया, इसलिए आया हूँ।
उक्त वाक्यों के प्रारंभ में कुछ लोग 'क्योंकि' अथवा 'चूँकि' भी लगा देते हैं जो अनावश्यक और त्याज्य है।
क्योंकि वर्षा हो रही थी ..
चूँकि आपने बुलाया ...
''इसलिए" को तोड़कर बीच में कारण को संज्ञा + परसर्ग के रूप में भी स्पष्ट कर सकते हैं । जैसे- इस गीत के लिए ... ।
यदि वक्ता केवल कारण ही बताना चाहे तो इसलिए के साथ 'कि' भी जुड़ जाएगा।
"आप क्यों आए ?"
"इसलिए कि आपने बुलाया था।"
प्रसंगवश यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि इसीलिए और इसलिए में अंतर है। 'इसलिए' सामान्य निष्कर्ष है, 'इसीलिए' में 'इस' के साथ बल देने वाले 'ही' निपात जोड़कर हम 'इस' सर्वनाम पर बल देते हैं -- 'इस-ही-लिए'।
इसे हिंदी की "ही-संधि" कह सकते हैं।
इस + ही> इसी
उस + ही> उसी
किस + ही> किसी
जिस + ही> जिसी
इसी प्रकार 'ही' अब, तब आदि कालवाचक क्रियाविशेषणों से जुड़कर उनके स्वरूप में भी बदलाव लाता है:
अब+ही> अभी
तब ही > तभी
जब ही > जभी
कब ही > कभी
अतः, अतएव, एतदर्थ क्रियाविशेषण भी इसलिए के ही पर्याय हैं और शिष्ट साहित्यिक भाषा में बहुधा प्रयुक्त होते हैं किंतु बोलचाल की भाषा में कम। इसलिए कहा जा सकता है कि हिंदी में बोलबाला "इसलिए" का ही अधिक है।
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