हरियाणवी और कोंकणी में अँजुरी से छोटी माप पस्सा/पस्सो हैं। इसे प्रसृत, प्रसृति से बतलाया गया है। संस्कृत में प्रसृत - हाथ की फैली हुई खाली हथेली, मुट्ठीभर, हथेली भर का मान, दो पलों के मान को कहा जाता है
(कहीं "आरोग्यदीपिका" में 2 प्रसति =
1 अँजुली, पस्सा, क्रुडव कहा है।)
1 अँजुली, पस्सा, क्रुडव कहा है।)
रोचक लगा, इसलिए भी कि कुमाउँनी में इससे मिलता-जुलता एक शब्द है "पौश"। पौश ओक के समान अनाज आदि के लिए अंगुलियों और हथेली की सहायता से बना एक साँचा है। मुड़ी अंगुलियों वाली हथेली में अन्न भरकर यदि मुट्ठी बंद हो जाए तो मुट्ठी भर; खुली मुट्ठी मैं भर कर दिया जाए तो पौश भर। इसकी समाई मुट्ठी से अधिक हो जाती है।
कुमाउँनी का पौश मुट्ठी से बड़ी माप है । क्रम इस तरह है - चुट्की , मुट्ठी, पौश और अँचोली। इन सभी में व्यक्ति की मुट्ठी, हथेली, अंगुलियों के आकार के अनुसार समाई में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है।
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