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घर्म, गर्मी और ग्रीष्म

गर्म फ़ारसी से आया है, इसे संस्कृत "घर्म" (घाम) से भी जोड़ा जाता है। उच्चारण की दृष्टि से गर्मी, गरमी एक ही हैं, वर्तनी अलग-अलग है। गरमी में र का अ-लोप (schwa deletion) हो जाने से गर्मी बचेगा। गर्म का उच्चारण गरम नहीं है । पदांत अ-लोप से गर्म को 'गर्म्' बोला जाएगा और गरम को 'गरम्'; अर्थात् दोनों का उच्चारण भी भिन्न है। इसलिए गर्मी /गरमी का मूल (तत्सम) विशेषण गर्म मानना अधिक तर्कसंगत लगता है। जो बिना अ-लोप के 'गरमी' उच्चारण कर सकते हैं, वे गरम मान सकते हैं!
बदरीनाथ कपूर मानते हैं कि गर्म और गर्मी फ़ारसी तत्सम शब्द हैं और गरम और गरमी उनके तद्भव रूप हैं। परन्तु गरमागरम, गरमाना, गरमाहट जैसे शब्द तद्भव रूपों से ही बने हैं।
गर्मी का मौसम ग्रीष्म ऋतु है। ग्रीष्म संस्कृत की √ग्रस् धातु (निगलना, नष्ट करना) से बना है । हिंदी में ग्रीष्म की अपेक्षा गरमी और गर्म शब्द का प्रयोग व्यापक है। ग्रीष्म का स्वभाव गर्मी या ताप है, किंतु ग्रीष्म का अर्थ सर्वत्र गरम नहीं है। धूप, आग, पानी, राख, चिंगारी - यहाँ तक कि स्वभाव में भी गर्मी हो सकती है ग्रीष्म नहीं। 
घाम 
घाम संस्कृत घर्म से निष्पन्न है जो बहुत प्राचीन शब्द है। ऋग्वेद में भी इसका प्रयोग हुआ है। प्राचीन भारत ईरानी में (फ़ारसी -गर्म) या पुरा-भारोपीय भाषाओं में घर्म से निष्पन्न शब्द (ग्रीक-थर्मॉस) देखे जा सकते हैं। थर्मॉस लैटिन और अंग्रेजी में वार्म हो गया है।
घर्म से निष्पन्न घाम शब्द भारत की अधिकांश भाषाओं में मिलता है। पूरे देश की न सही, दक्षिण पश्चिम में कोंकणी से लेकर उत्तर में कश्मीरी, हिमाचली, कुमा.-गढ़वाली, नेपाली, पूर्व में सिलहटी, मणिपुरी, असमी, बांग्ला आदि, हिंदी क्षेत्र की लगभग सभी भाषाओं-बोलियों में; पाकिस्तान की कुछ भाषाओं में भी।

टिप्पणियाँ

  1. हमेशा की तरह सूक्ष्म विश्लेषण । बंगाल में धर्म और घाम दोनो ही प्रयोग में आते है । घाम लोक व्यवहार में आता है और धर्म साहित्यिक क्षेत्र में अधिक ।
    धन्यवाद
    प्रणाम दादा
    सुप्रभात
    स्वस्थ रहे निरापद रहे

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