जीव - जिसमें जीवनी नाम की प्राकृतिक चेतना शक्ति है। प्राणियों का चेतन तत्व जीव है। इस प्रकार जीव का अर्थ बहुत व्यापक है। मनुष्य, पशु- पक्षी, कीड़े - मकोड़े, सूक्ष्म जीवाणु आदि सभी प्रकार के जीवधारी जीव हैं।
जंतु - √जन् धातु (जन्म लेना) से बना है, (जायते उद्भवतीति )। वह जीव जिसने माता के गर्भ से किसी भी रूप में इस संसार में जन्म ग्रहण किया हो। अर्थ की दृष्टि से यह शब्द जीव या प्राणी के ही समकक्ष है, फिर भी प्रयोग में यह अपेक्षाकृत बड़े या मँझले आकार वाले जीव धारियों के लिए है। जहाँ सभी प्रकार के प्राणियों का संकेत करना हो वहाँ पर प्रायः द्विरुक्त शब्द जीव-जंतु का प्रयोग किया जाता है। सूक्ष्मजीव होते हैं, सूक्ष्म प्राणी नहीं।
प्राणी वह जिसमें प्राण शक्ति है, साँस लेने की क्षमता है। जिस में पाँचों प्राण (प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान) निवास करते हैं। खाता-पीता, चलता-फिरता, वंशवृद्धि में सक्षम प्राणी। वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार एक बहुकोशिकीय जीव। व्यवहार में प्राणी का प्रयोग मनुष्य के संदर्भ में अधिक मिलता है। इसका एक अर्थ जन भी है। जैसे
~परिवार में पाँच प्राणी हैं। ( पाँच जन)
~हम दो प्राणियों का ख़र्चा ही कितना है? (दो जन, प्रायः दंपति के लिए प्रयुक्त होता है)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें