लोचा और लोचे का स्वाद
लोचा शब्द अज्ञात व्युत्पत्तिक है और मुंबइया हिंदी का उपहार है। एक बॉलीवुड फ़िल्म का नाम भी था "कुछ कुछ लोचा है", संभवतः "कुछ कुछ होता है" के अनुकरण पर रखा गया हो किंतु लोचा की कहानी में लोचे अनेक हैं। लोचा का हिंदी में अर्थ है- किसी बात पर होने वाली कहा-सुनी या विवाद, अचानक पैदा हो गई कोई समस्या या रुकावट। बुंदेलखंड में जमे हुए घी या मक्खन में से पाँचों अंगुलियों से निकाला गया घी का लोंदा भी लोचा कहलाता है किंतु हिंदी में प्रचलित लोचा से इस मक्खनी लोचे का कोई संबंध नहीं प्रतीत होता।
एक गुजराती व्यंजन का नाम भी लोचा है। कहा जाता है कि एक शेफ़ ने गलती से खमण के घोल में अधिक पानी डाल दिया, जिससे खमण कुछ पतला और बिखरा-बिखरा-सा हो गया। इसे देखकर वह चिल्लाया ‘अरे, आ तो लोचो थाइ गयो’ अर्थात यह तो समस्या आ गई! अपनी गलती छिपाने के लिए उसने स्वादिष्ट-रंगीन सजावट (टॉपिंग) के साथ पतले घोल से बना व्यंजन परोस दिया। लोगों को यह पसंद आया और उसका नाम ही पड़ गया लोचा।
झोल, झोला और झोलाछाप
झोल की उत्पत्ति संस्कृत दुल् (दोलन, झूलना) से है। झोला, झूला इसी से बने हैं। झोला (कंधे पर लटकाया जाने वाला थैला) की उपयोगिता से हम सब परिचित हैं और दैनंदिन व्यवहार में कभी न कभी इसका प्रयोग करते रहते हैं। झोला के कुछ लाक्षणिक प्रयोग बड़े रोचक हैं।
"चले आ रहे हैं झोला लटकाए" तब कहा जाता है जब कोई कुछ माँगने आता दिखाई पड़ता है या तब जब किसी चीज को पाने में असफल होकर कोई लौट आता है। "झोलाछाप डॉक्टर" एक दूसरा प्रयोग है। यह उन लोगों के लिए कहा जाता है जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई नहीं की होती पर बेधड़क होकर इलाज करते हैं। ये डिग्री रहित होते हैं या फर्जी डिग्री धारी। देश की स्वास्थ्य प्रणाली की दशा अच्छी न होने और विशाल जनसंख्या की तुलना में डॉक्टरों की संख्या कम होने के कारण झोलाछाप डॉक्टरों की आवश्यकता बनी रहती है।
बात झोल शब्द से प्रारंभ हुई थी। हिंदी में झोल बहुप्रयुक्त शब्द है और इसके अनेक अर्थ हैं। मूलतः कपड़े का वह अंश जो ढीला होने के कारण झूल या लटक जाए, उसे झोल कहा जाता है। कपड़े में ढीलापन, झिरी या सिलवट पड़ती हो तो भी उसे झोल वाला कहा जाता है। इससे झोल का अर्थ विस्तार हुआ -दोष, त्रुटि, कमी या झंझट, बखेड़े और धोखे की बात।
गाढ़े, तरल पेय को भी झोल कहा जाता है। तरकारी का रसा, शोरबा, सूप भी झोल के अंतर्गत आते हैं।
लोच, लचीला, और फिर लचीला होते होते लोचा हो जाना, जैसे कपड़ो में लगने वाली पुरानी इलास्टिक हो जाती है। यदि इलास्टिक के लिए प्रचलित रहा भारतीय शब्द लोच से संबन्धित हो तो कदाचित लोचा के उद्गम का लोचा न रहे।
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