हींग
हींग एक जंगली वनस्पति से प्राप्त लिसलिसा दूध या गोंद है जिसकी गंध बहुत तीव्र होती है। कल्पद्रुम के अनुसार हींग खुरासान, मुल्तान में पैदा होने वाले एक वृक्ष का रस (गोंद) है। बल्हीक के देश का होने के कारण इसे बाल्हीक भी कहा गया है। मध्य ईरानी वर्ग की खोतानी भाषा में यह अङ्गूष्ड था जो तिब्बती के शिङ्-कुं से बना। क्योंकि यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का केंद्र रहा और बौद्ध प्रधान होने के कारण इसका भारत से गहरा संबंध था, इसलिए लगता है बौद्धों के साथ भारत आकर यह पालि में हिङ्गु बन गया। पालि, प्राकृत और संस्कृत में इसे हिङ्गु ही कहा गया है। अब भारत की प्रायः सभी भाषाओं में इसे हींग नाम से जाना जाता है।
इसका अंग्रेजी पर्याय asafoetida भी लैटिन के दो शब्दों से बना है: asa जो फ़ारसी aza (गोंद) से बना, और fetida अर्थात् तीखी गंध। अर्थ होगा तीखी गंध वाली गोंद।
बंधानी हींग
हींग अब भारत की प्रायः प्रत्येक रसोई में मिलती है और इसे विशेष मसालों में गिना जाता है। जिस हींग का हम उपयोग करते हैं उसे "बंधानी" हींग कहते हैं। यह "बंधानी" हींग क्या है?
हींग की तीव्र गंध को कुछ हल्का करने के लिए कुछ और वस्तुएँ मिलाकर उसे 'बाँधा' जाता है। बाँधने से बन गया बंधनी/बंधानी (कंपाउंडेड) हींग। बंधानी हींग बनाने के लिए हींग की मात्रा केवल 30% या उससे भी कम होती है। इसे कुछ यों समझ सकते हैं कि जिसे आप शुद्ध हींग मान रहे हैं उसमें वस्तुतः दो तिहाई से अधिक मैदा, आटा, गोंद और अन्य पदार्थों को मिलाया जाता है। शुद्ध हींग की गंध को आप सहन नहीं कर सकते। मिलावटी होना हींग के भाग्य में लिखा हुआ है, इसलिए बाज़ार में जो हींग मिलती है उसमें गंध कम या अधिक इस आधार पर होती है कि उसमें मिलावट कम है या अधिक।
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