खटराग
•••
यों तो खटराग का अर्थ है झंझट, झगड़ा, बखेड़ा, बेमेल वस्तुओं का जुड़ाव आदि, किंतु आमतौर पर खटराग (षट्राग) शब्द का प्रयोग एक मुहावरे की तरह किया जाता है। खटराग करना, खटराग फैलाना, खटराग मचाना, खटरागी होना आदि ऐसे ही मुहावरे हैं।
खटराग मूलत: भारतीय शास्त्रीय संगीतशास्त्र की एक अवधारणा है , जिसमें छह प्रमुख रागों की गणना हो जाती है। वे हैं दीपक, भैरव, मालकोश, मेघमल्हार, श्री और हिंडोल।
ब्रजभाषा के द्विवेदी युगीन कवि राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' ने खटराग को लेकर एक रोचक सवैया लिखा था जिसमें उक्त सभी छह रागों का एकत्र प्रभाव दिखाया गया है।
"उर प्रेम की जोति जगाय रही¹, गति कों बिनु यास घुमाय रही² ।
रस की बरसा बरसाय रही³, हिय पाहन कों पिघलाय रही⁴।
हरियाले बनाय कें सूखे हिये⁵ , उतसाह की पेंग झुलाय रही⁶।
इक राग अलाप के भाव भरी, खटराग प्रभाव दिखाय रही।"
भाव भरी नायिका ने एक 'खटरागी' रागिनी छेड दी है । उस रागिनी के प्रभाव से हृदय में प्रेम का दीप जल उठा¹ , बिना प्रयास के ही कोल्हू चलने लगे², पत्थर जैसे कठोर हृदय भी पिघल गए³, रस की वर्षा होने लगी⁴ , सूखे हृदय हरे हो गए⁵, उत्साह का झूला ऊँची -ऊँची पेंगें बढ़ाने लगा⁶।
¹ दीपक राग
² भैरव राग
³ मेघ मल्हार
⁴ मालकोश
⁵ श्री
⁶ हिंडोल
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें