संस्कृत से आगत 'काल' शब्द अनेकार्थी है। यह समय, अवसर, अवधि, मौसम, मृत्यु, यमराज, शिव, शनि आदि अनेक अर्थों में है। समय के संदर्भ में दिक् और काल ब्रह्मांड के दो आयाम हैं। काल का आदि ज्ञात नहीं है और यह अनंत है। काल समय की ऐसी संकल्पना है जो दो वस्तुओं के संपर्क को क्रमिक रूप से व्यक्त करती है। 'मात्रा' काल की सबसे छोटी इकाई है जो एक स्वर के उच्चारण में लगने वाले समय की द्योतक है। काल गणना के भारतीय पैमाने क्रमशः क्षण, दण्ड, मुहूर्त, प्रहर, दिन, रात्रि, पक्ष, मास, अयन, वर्ष ... युग, मन्वंतर आदि हैं।
अपने लौकिक संदर्भ में हम इसे भूत, भविष्यत् और भवत् (वर्तमान) के नाम से जानते हैं। काल निरंतर गतिशील है, इसे बाँधा नहीं जा सकता। काल के निर्बंध और असीम प्रवाह में वर्तमान तो एक क्षण मात्र है जो व्यक्त होने के तुरंत बाद अतीत (भूत) बन जाता है। जिसे हम नहीं जानते, वह भविष्य अनागत काल है।
यह तो हुई काल की गति।
भाषिक संरचना की दृष्टि से काल ऐसा समय सापेक्ष शब्द है जिससे अनेक यौगिक शब्द निर्मित होते हैं। अधिकांश समस्त पदों में काल उत्तर पद होता है - वर्षा काल, ग्रीष्म काल, विनाश काल, युद्ध काल, मध्यकाल, महाकाल आदि कुछ भी हो सकता है। कहीं-कहीं यह पूर्वपद भी हो सकता है; जैसे: कालातीत, कालक्रम, काल ग्रस्त, काल कवलित, कालकूट, कालरात्रि।
बिछाने वाला कालीन (गलीचा ) तुर्की से अरब, ईरान होते हुए भारत पहुँचा है और संपन्न घरों की शोभा बढ़ाता है; काल से व्युत्पन्न कालीन (काल संबंधी) देखने में चाहे गलीचे जैसा लुभावना न हो, किंतु उपयोगी बहुत है। विशेषण के रूप में यह अनेक शब्दों से जुड़कर योगिक शब्द बनाता है| विनम्र इतना कि प्रायः शब्द के प्रारंभ में नहीं रहना चाहता, सदैव अनुसरण करता है। जैसे: तत्कालीन, सर्व कालीन, समकालीन! किसी भी समयवाची शब्द के स्वागत में आप इस कालीन को बरत सकते हैं|
काल के पूर्व उपसर्ग जोड़कर क्रियाविशेषण शब्द बनता है तत्काल -- तुरंत, उसी समय, फौरन के अर्थ में | इस तत्काल से बने हुए दो विशेषण ध्यान देने योग्य हैं - तात्कालिक और तत्कालीन| अर्थ की दृष्टि से तत्कालीन तत् काल (उस समय) का द्योतक है जबकि तात्कालिक तत्काल से इक प्रत्यय जोड़कर बनाया गया है और इसके अर्थ में समय की व्याप्ति कम, तात्कालिकता अधिक है क्योंकि तत्काल (तुरंत, फौरन) वाले अर्थ से इक जोड़कर विशेषण बनाया गया है।
तत्कालीन अर्थात् उस समय का। तत्कालीन रीति रिवाज, तत्कालीन शासन प्रबंध आदि किसी वर्तमान या भूतकाल के संदर्भ में तत्कालीन का प्रयोग करते हैं। इसके साथ वर्तमान कालीन, हड़प्पा कालीन, मराठा कालीन, मुगल कालीन जैसे शब्द बनते हैं किंतु ध्यान रखने की बात है कि प्राचीन कालीन, अतीत कालीन जैसे शब्द व्याकरण की दृष्टि से चाहे शुद्ध हों, किंतु उनका प्रयोग नहीं दिखाई पड़ता। कठिनाई के समय, आपत्ति काल में आप तुरत- फुरत जो कदम उठाते हैं वे तात्कालिक उपाय हैं और उनके बारे में जब चर्चा करते हैं तब वह तत्कालीन चर्चा होती है, तात्कालिक नहीं।
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