देखना संस्कृत की धातु दृश् से हिंदी में दो शब्द परिवार बने हैं- देखना और दर्शन | संभवतः आम जन की लोक धारा में ‘ देखना ’ शब्द प्रचलित हुआ किन्तु कुछ विशेष , औपचारिक स्थितियों में दर्शन शब्द ही चलता रहा | लगभग समानार्थी होते हुए भी अब दोनों शब्दों ने अपने-अपने अलग क्षेत्र चुन लिए हैं | देखना- मूलतः तो आँखों से प्रकाश की सहायता से संपन्न होने वाला कार्य देखना है | हम वह सब देखते हैं जो हमारे सामने होता है | अँधेरे में कोई कुछ नहीं देखता | यह इसका सीधा प्रयोग है | किन्तु इसके लाक्षणिक प्रयोग रोचक हैं और अनेक अर्थ छवियाँ दूर-दूर ले जाती हैं | डॉक्टर रोगी की नब्ज़ देख रहा है | ( जाँचना) रोगी को नर्स देख रही है | ( देखभाल) शिक्षक तुम्हारे उत्तर देख रहा है | ( जाँचना) देखना , दूध उबलकर बिखर न जाए | ( सावधान रहना) तुम आवेदन पत्र दे आओ , बाकी मैं देखूँगा | ( ध्यान देना) इस चौकी को कौन देखता है आजकल ? ( चौकसी , पहरेदारी) भगवान् सबको देखता है | ( ध्यान में रखना , विवेचन करना) लड़की देखने जाना है | ( पसंद करना) एक समित...
कुल व्यू
||वागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थ प्रतिपत्तये ||
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