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उल्लू का पट्ठा

🦉का पट्ठा  ••• पुष्ट से व्युत्पन्न पट्ठा/पाठा/पठिया पशुओं के छोटे, हृष्ट-पुष्ट बच्चे को कहा जाता है। उल्लू का लाक्षणिक अर्थ मूर्ख भी है, इसलिए 'उल्लू का पट्ठा'= मूर्ख की संतान (महामूर्ख)। 'साठे पर पाठा' कहावत में यही पाठा (हृष्ट-पुष्ट, नौजवान) है। अखाड़े वाले पहलवान के चेले को भी हृष्ट-पुष्ट और कसरती जवान होने के कारण पाठा कहते हैं। #भाषाशास्त्र #व्युत्पत्तिविज्ञान #शब्दविवेक #पट्ठा  #उल्लूकापट्ठा  #Etymology

बालम

बालम आन बसो मोरे मन में! 💗 बताने की ज़रूरत नहीं है कि यह बालम कौन होता है। आप हैं तो भी जानते हैं, नहीं हैं तो भी। उनके हैं तो वे जानती हैं कि आप उनके बालम हैं, किसी के नहीं हैं तो वे चाहती हैं कि कोई तो हो जिसे दिखाते हुए गर्व से कह सकें- हाँ, यह रहे हमारे बलमा, यानी कि बालम। शास्त्रीय संगीत, फिल्मी गाने, लोकगीत, लोक कथाएँ, प्यार-मोहब्बत, ताने-बोल, कृपा-कटाक्ष, आम बोलचाल - सब में तो यह निगोड़ा बालम भरा पड़ा है।  आज इस बालम ने हमको सता रखा है। असल में जब भाषा की भाँग चढ़ती है, कोई कीट काटता है और व्युत्पत्ति के काँटे चुभते हैं तो मन में एक हूक उठती है, 'हाय बालम, तुम आए कहाँ से? तुम बने किस मिट्टी के हो?' जैसे श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं सब धर्मो को त्याग कर मेरी शरण में आ जाओ, उसी प्रकार संस्कृत भाषा भी सभी भारतीय भाषाओं को कहती है कहीं रास्ता न मिले तो इस ओर आ जाओ, कुछ न कुछ व्यवस्था हो जाएगी, जैसे इस बलमा की हो गई। संस्कृत में एक शब्द है वल्लभ। इसकी वर्तनी देखिए। इसे बल्लम पढ़ा-लिखा जा सकता है और बल्लम से बालम न केवल देखने में, बल्कि अर्थ में भी बहुत