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नवंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अर्थापकर्ष के कुछ विचित्र उदाहरण

समय के साथ साथ शब्दों के अर्थों में कुछ ऐसी विचित्रता आ जाती है जो कोशीय अर्थ से बहुत दूर होती है, और अनादर या अपमान का भाव जुड़ जाता है। इसे अर्थापकर्ष (pejoration) कहते हैं। अपकर्ष अर्थात गिरना, डाउनग्रेड। अर्थापकर्ष के अनेक उदाहरण हैं। यहाँ कुछ विचित्र उदाहरण दिए जा रहे हैं जो कुछ धार्मिक और सामाजिक मर्यादाओं के प्रति समाज की बदलती धारणा को या निंदाभाव को दर्शाते हैं। छक्का (हिजड़ा) < षट्क, षडक् से क्योंकि ये लोग परंपरा से दो गुँथे हुए त्रिभुजों (षट्कोण) को अपना धार्मिक प्रतीक मानते हैं। बुद्धू < बुद्ध, बौद्धों को मूर्ख बताने के लिए। देवानां प्रियः < अशोक। बौद्धों पर व्यंग्य। नंगा-लुच्चा < नग्न, लुंचित (जैन धर्म की धार्मिक क्रियाओं के प्रति अनादर भाव) लालबेग (तिलचट्टा और स्वीपर के लिए) < लालबेग एक मुस्लिम संत थे। लालबेग मत के लोग भारत-पाक दोनों देशों में हैं। वर्ग विशेष को नीचा दिखाने के लिए । आवारा < यायावर (घुमक्कड़) से, कोई ठौर ठिकाना न होने का भाव।

जहाँ लोक ने अंग्रेजी भाषा पर वर्चस्व स्थापित किया

जहाँ लोक ने अंग्रेजी भाषा पर वर्चस्व स्थापित किया- २ सेना की शब्दावली अर्थात् भाषिक "फ्यूज़न" भारतीय सेना का नाम चाहे ईस्ट इंडिया कंपनी की फ़ौज रहा हो, महारानी की या अंग्रेज सरकार की फ़ौज रहा हो, धरातल पर लड़ने वाला वीर सिपाही तो गोरा अंग्रेज नहीं, सदा देसी भारतीय था; साधारण पढ़ा लिखा या अनपढ़ ग्रामीण, जिसे शासक की भाषा समझ नहीं आती थी। इसलिए काम चलाने के लिए उसने अंग्रेजी के शब्दों, पदों और पदबंधों को अपनी देसी हिंदी में ढाल लिया ताकि वह समझ जाए और वैसा कर सके जैसा फ़ौजी अफसर  चाहते थे।  आज ऐसे ही कुछ शब्द याद आ गए तो दिए जा रहे हैं। आप भी इनसे परिचित हों तो कुछ अन्य सुझाइए। एक बात ध्यान रखने की है कि ऐसी शब्दावली भी हिंदी साहित्य और भाषा के शब्द भंडार का अभिन्न अंग होती है क्योंकि इससे भाषा संपन्न ही होती है। यह जानना भी रोचक होगा कि इनमें कुछ शब्द ऐसे भी हैं जो वापिस अंग्रेजी भाषा में प्रवेश कर गए और आज अंग्रेजी शब्दकोशों में शामिल हैं। *Who comes there ? > हुकुम सदर  *Half-cock-fire-lock > आपका सुलूक *Automatic > अटक-मटक *Officiating > हाफ़ शूटिंग *Weather has p

जहाँ लोक ने अंग्रेजी भाषा पर वर्चस्व स्थापित किया- १

जहाँ लोक ने अंग्रेजी भाषा पर वर्चस्व स्थापित किया- १ 🏤🏥🏚️ भाषा को भाषा शास्त्र या व्याकरण उतना नहीं चलाता जितना लोक चलाता है। सर्वाधिक समर्थ और विद्वान वैयाकरण पाणिनि ने भी यह स्वीकार किया है की शास्त्रीय प्रयोग से बढ़कर है लोक का प्रयोग।  अंग्रेज भले ही इस देश पर दो-तीन सौ वर्ष छाए रहे हों, उनकी भाषा आज भी प्रभुत्व और स्टेटस की भाषा हो, लोक ने उसे अपने ढंग से स्वीकार किया। यहाँ बहुत थोड़े से स्थान नामों के उदाहरण हिंदी क्षेत्र से दिए जा रहे हैं जो सिद्ध करते हैं कि कैसे लोक ने अपनी समझदारी और सुविधा से कुछ अंग्रेजी स्थान नामों का नामकरण किया है, देश भर में तो ऐसे सैकड़ो उदाहरण मिल जाएँगे।  *कलेक्टर गंज > कलट्टरगंज (लखनऊ) *विक्टोरिया बाज़ार > टूड़िया/टुड़िया बाजार (लखनऊ) *गार्डन > गर्दन > गर्दन बाग > गर्दनिया बाग (पटना) *गॉड्स ओन विला > गोदौलिया > गुदौलिया। (वाराणसी) *मेटकॉफ हाउस > मटका हौस (दिल्ली) *Behind the Bazar = Bhindi Bāzar भिंडी बाज़ार (मुम्बई) *प्लैटून बाज़ार> पल्टन बजार (अनेक छावनी शहरों में) *रापट गंज - रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) *मैक्लोडगंज - मे

पनौती

पनौती की व्युत्पत्ति  हिंदी में -औती प्रत्यय से अनेक शब्द बनते हैं, जैसे -कटौती, चुनौती, मनौती, बपौती आदि। पनौती के बारे में कम लोग जानते हैं क्योंकि इसके आधार शब्द के बारे में जानकारी नहीं है।  पनौती का कोशीय और लाक्षणिक अर्थ समझने के लिए दो मार्ग हैं: १. पानी > पन (जैसे- पनबिजली, पनचक्की, पनीला) + औती= पनौती, बाढ़, सैलाब।  २. पन- संस्कृत 'पर्वन्' से (अवस्था- जैसे बचपन; दशा) + औती, पनौती; शनि की बुरी दशा का समय (bad phase)। शनि ग्रह की साढ़े साती, जो जीवन में अधिक से अधिक केवल चार बार ही आती है। दोनों स्थितियों में पनौती का लाक्षणिक अर्थ कठिनाई, मुसीबत। अभिधार्थ (कोशीय अर्थ) पर ही लाक्षणिक अर्थ टिका होता है। "मुख्यार्थबाधे तद् योगे लक्षणा"। जब मुख्य अर्थ बाधक हो तो उसके आधार पर नया अर्थ लाक्षणिक होता है।  पनौती चाहे बाढ़ की हो, चाहे शनि ग्रह की; दोनों ही दशाओं में डरावनी और विनाश की सूचक है। इसलिए आश्चर्य नहीं कि लोक में 'पनौती आना' मुहावरा बन गया और इसका लाक्षणिक अर्थ विस्तार मुसीबत के रूप में हो गया। कई लोग तिरस्कार के रूप में 'पनौती' बोलते हैं।