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शाप को श्राप

शाप या श्राप?? 🤔 व्याकरण की दृष्टि से शाप/श्राप में किसे शुद्ध माना जाए? उत्तर होगा शाप को। यह शप् से बना मूल तत्सम है। संस्कृत में श्रप् कोई शब्द नहीं है जिससे श्राप बने। इसलिए इसे तद्भव भी नहीं माना जा सकता। यह अधिक व्युत्पादक नहीं है अर्थात संयुक्त और यौगिक शब्द शाप से ही निर्मित हैं। जैसे>>शप्त, अभिशाप, अभिशप्त, शापित, शाप मुक्ति, शापमोचन, शापोद्धार आदि शब्दों के वैकल्पिक रूप श्राप से नहीं बनाए जा सकते। इसलिए भी शाप को ही व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध माना जाएगा। अपभ्रंश व्याकरण के एक नियम के अनुसार रेफ (रकार) मनमाने रूप से कहीं भी आ सकता है उसके आधार पर शाप को श्राप बनाया जा सकता है। यदि इसे सही मानें तो भी कहना पड़ेगा कि  नियम भंग कर अपभ्रंश से हिंदी में पधारे 'श्राप' ने शुद्ध तत्सम 'शाप' को ही शाप देकर बाहर कर दिया है। इसलिए शापोद्धार करना आवश्यक है।

पनीर और पनीरी

उत्तर भारत में कोई भी दावत चाहे शादी-ब्याह की हो या घरेलू मेहमानदारी की , पनीर से बने व्यंजन के बिना अधूरी मानी जाती है। अविभक्त पंजाब में इसका बहुत चलन रहा है।  पनीर फटे/फाड़े हुए दूध का घन अंश है। छेना भी कहा जाता है। पनीर शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी से है। चलन चूँकि पंजाब और पाकिस्तान में अधिक है, इसलिए यह भी संभव है कि पनीर पंजाबी या उत्तर पश्चिम की किसी भाषा से फ़ारसी में गया हो।  पंजाब में अश्वगंधा के बीजों, फूलों को 'पनीरी' कहा जाता है जो दूध फाड़कर पनीर बनाने के काम आते हैं। जैसे दही जमाने के लिए जामन, उसी प्रकार दूध फाड़कर पनीर बनाने के लिए पनीरी, जिसका मुख्य घटक अश्वगंधा नाम की वनस्पति है। अश्वगंधा को ऋष्यगंधा भी कहते हैं जिसका वैज्ञानिक नाम Withania Coagulans है। इसके फूल 'पनीर डोडा' या पनीर का फूल। आजकल लोग सिरका या नींबू के रस को ही प्रयोग में लाते हैं। पंजाबी में सब तरह के छोटे पौधों को , जिन्हें कहीं भी लगाया जा सकता है (हिंदी में बेहन, saplings) या बेहन की क्यारी को भी पनीरी कहा जाता है।  तमिऴ में पन्नीर-பன்னீர் सुगंधित जल, गुलाब जल को कहा जाता है। तमिलनाडु