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खटकरम और धतकरम

खटकरम संस्कृत षट्कर्म से बना यौगिक शब्द है। संस्कृत में 'षट्' का अर्थ है छह, और 'कर्म' का अर्थ है क्रिया या तकनीक। योग साधना में षट्कर्म, शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए की जाने वाली छह तकनीकों का समूह है. षट्कर्म की ये छह तकनीकें हैं: नेति, धौति, नौली, बस्ती, कपालभाति, त्राटक।  स्मृतियों के अनुसार ब्राह्मण के लिए निर्धारित षट्कर्म हैं- यजन (यज्ञ करना), याजन (यज्ञ कराना), अध्ययन, अध्यापन, दान देना और दान लेना। योगिक क्रियाओं से जुड़े हों, चाहे अन्य कर्म हों ,ये जब आगे चलकर अनिवार्य नित्य कर्तव्य कर्म नहीं रहे, रूढ़ि और दिखावा बन गए, इनसे असुविधा होने लगी तो इन्हें खटकरम कहा जाने लगा और ऐसे दिखावा करने वालों को खट्कर्मी। शब्द की अर्थ यात्रा पर ध्यान दीजिए कि छह आवश्यक काम जब तक कर्तव्य कर्म थे, तब तक षट्कर्म कहे जाते थे और जब इन में दिखावा और आडंबर आगए तो उन्हें खट्कर्म कहा जाने लगा। षट्कर्मी अच्छा विशेषण था, खट्कर्मी अच्छा नहीं रहा। यह अर्थापकर्ष का अच्छा उदाहरण है। धतकरम   प्रिंट मीडिया से उभरकर प्रचलित हुआ नया शब्द है। इसके दो भाग हैं धत और करम (कर्म)। धत किसी को तिर...