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दंपति या दंपती

 हिदी में पति-पत्नी युगल के लिए तीन शब्द प्रचलन में हैं- दंपति, दंपती और दंपत्ति।इनमें अंतिम तो पहली ही दृष्टि में अशुद्ध दिखाई पड़ता है। लगता है इसे संपत्ति-विपत्ति की तर्ज पर गढ़ लिया गया है और मियाँ- बीवी के लिए चेप दिया गया है। विवेचन के लिए दो शब्द बचते हैं- दंपति और दंपती। 

पत्नी और पति के लिए एकशेष द्वंद्व समास  संस्कृत में है- दम्पती। अब क्योंकि  दंपती में  पति-पत्नी दोनों सम्मिलित हैं,  इसलिए संस्कृत में इसके रूप द्विवचन और बहुवचन  में ही चलते हैं अर्थात पति- पत्नी के एक जोड़े को "दम्पती" और  दंपतियों के  एकाधिक जोड़ों को  "दम्पतयः" कहा जाएगा।  

वस्तुतः इसमें जो दम् शब्द है उसका संस्कृत में अर्थ है पत्नी। मॉनियर विलियम्ज़ की संस्कृत-इंग्लिश-डिक्शनरी में जो कुछ दिया है, उसका सार है:

दम् का प्रयोग ऋग्वेद से होता आ रहा है धातु (क्रिया) और संज्ञा के रूप में भी। ‘दम्’ का मूल अर्थ बताया गया है पालन करना, दमन करना। पत्नी घर में रहकर पालन और नियंत्रण करती है इसलिए वह' "घर" भी है। संस्कृत में ‘दम्’ का स्वतंत्र प्रयोग नहीं मिलता। तुलनीय है कि आज भी लोक में घर का एक अर्थ पत्नी है। 

 व्याकरण में दम्पती का समास-विग्रह किया गया - जाया च पतिश्च दम्पती। फिर स्पष्ट भी किया गया "जाया शब्दस्य दमादेशः" अर्थात् जाया शब्द का दम् आदेश हो जाता है। जाया शब्द दम् बन जाता है।

इस प्रकार संस्कृत में तो "दम्पती" शुद्ध है , किंतु हिंदी में "दंपति", क्योंकि हिंदी में द्विवचन नहीं होता और पति भी पती होना चाहिए, नहीं हो सकता। सो अतिशुद्धतावादी दंपती का आग्रह क्यों करते हैं। अन्य भारतीय भाषाओं में भी दंपति ही है। "दम्पती" को हिंदी में चलाने के लिए व्याकरण को नए सिरे से लिखना होगा और उसे मनवाना भी पड़ेगा। भाषा अपना मार्ग स्वयं बनाती है, दंपती का आग्रह व्यर्थ है।

यह तर्क दिया जा सकता है कि दंपती तत्सम शब्द है और तत्सम को उसी रूप में रहने दिया जाता है। जी हाँ, दंपती तत्सम है, अब यदि सब तत्सम उसी रूप में रहने दिए जाएँ या रहने दिए गए होते तो तद्भव रूप कैसे बनते! तत्सम से बिगड़ कर ही तो तद्भव बनते हैं। इसलिए छेड़छाड़ न करने, वैसे ही बना रहने देने का तर्क टिकता नहीं है। और फिर यह पक्षपात हम दंपती के लिए ही क्यों कर रहे हैं? संस्कृत में अनेक शब्द है जो एकशेष के रूप में स्वीकार हैं। जैसे:

देवः च देवी च – देवौ।

हंसः च हंसिनी च-- हंसौ

अश्वः च अश्वा च – अश्वौ।

वृद्ध: च वृद्धा च -- वृद्धौ

गायकः च गायिका च – गायकौ।-

नर्तकः च नर्तकी च – नर्तकौ।

पुत्रः च पुत्री च – पुत्रौ।

क्या हम इनमें से किसी अन्य को भी हिंदी में ले रहे हैं। केवल एक शब्द के लिए हिंदी से छेड़छाड़ भी अक्षम्य में होनी चाहिए।


एक बात और। मान भी लें कि दंपती तत्सम होने से उसे ही स्वीकार करना चाहिए क्योंकि वह पति का द्विवचन है, तो कवि शब्द भी तो तत्सम है और पति की भाँति ही उसकी रूपरचना होती है। दो कवियों के लिए हम कवी क्यों नहीं कहते? स्पष्ट है कि शब्द चाहे संस्कृत के हों, नियम हिंदी में प्रयोग से स्थिर होंगे और उन पर हिंदी के व्याकरण नियम ही लगेंगे।


टिप्पणियाँ

  1. हमारे प्रयोग में कुछ शब्द आते रहते हैं , यथा - Domain , Domestic ,Domicile इत्यादि
    इन सारे शब्दों में जिस Dome शब्द का प्रयोग किया गया है आजकल बोलचाल की English में इसका प्रयोग गुम्बदाकार ढ़ांचे के लिए होता है घर के लिए नहीं। किन्तु वैदिक शब्दावली में " दम " पद गृह-वाचक है ।
    देखें - ऋग्वेद के प्रथम सूक्त का अष्टम मन्त्र
    ॥ '' राजन्तमध्वराणां गोपामृतस्य .......... स्वे दमे " ॥
    सम्भाषण-संस्कृत में भी ' दम ' शब्द का प्रयोग गृह के लिए आजकल प्रचलन में नहीं है परन्तु - गृहस्वामी युगल (पति-पत्नी) के अर्थ में " दम्पती " शब्द का उपयोग संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं में होता है ।दोनों ही दम्पति = गृहपति है इसलिए पति-पत्नी के लिए दम्पती वैदिक शब्द है। संस्कृत में पत्नी शब्द भी पति का स्त्री-प्रत्ययान्त रूप है जिसका अर्थ है मालकिन किन्तु वैवाहिक यज्ञ के पश्चात्।

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  2. अत्युपयुक्त जानकारी। दंपति शब्द का तार्किक विवेचन।

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  3. हमेशा की तरह ज्ञानवर्द्धक

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