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विज्ञ, अभिज्ञ और 'भिज्ञ'

विज्ञ, अभिज्ञ और 'भिज्ञ'

अभिज्ञ (जानकार), अनभिज्ञ (न जानने वाला) में अ- और अन- को निषेधार्थक उपसर्ग मानकर कुछ विज्ञ (ज्ञानी) जन ज्ञानी के लिए 'भिज्ञ' शब्द का प्रयोग करते हैं। उनके लिए अविज्ञ वह है जो जानता कुछ नहीं। उनका सीधा तर्क है- जैसे अज्ञानी में से अ हटा देने पर ज्ञानी बचता है, ठीक उसी प्रकार अ, अन हटा देने से 'भिज्ञ' भी बनेगा।

वस्तुतः हिंदी में 'भिज्ञ' कोई शब्द ही नहीं है। संस्कृत में शब्द है 'ज्ञ'। उससे पहले अभि- और अन्-  उपसर्ग जोड़ दिए गए हैं। 'अनभिज्ञ' में भी अन + भिज्ञ नहीं, अन् + अभिज्ञ है। √ज्ञा (जानना) धातु से जानने वाला के अर्थ में 'ज्ञ' शब्द बनता है जिसका अर्थ है ज्ञानी, जानकार। वि- उपसर्ग जोड़ने से 'विज्ञ' बनेगा जिसका अर्थ है विशेष जानकार, विशेषज्ञ।

 विशेष बात यह है कि 'ज्ञ' का हिंदी में स्वतंत्र प्रयोग नहीं है। 'ज्ञ' से अनेक यौगिक शब्द बनते हैं जो संस्कृत से ज्यों-के-त्यों ले लिए गए (तत्सम) हैं; जैसे: सर्वज्ञ, अज्ञ, अल्पज्ञ, तत्वज्ञ, रसज्ञ, शास्त्रज्ञ, मर्मज्ञ, सुविज्ञ आदि। ऐसे सुविज्ञों से सावधान रहने की आवश्यकता है जो आपको भिज्ञ मानते हों। 

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