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फड़ और फड़नवीस


उत्तरी भारत में 'फड़' एक देसी शब्द मानाा जाता है जिसका अर्थ है जुए का अड्डा। (पुलिस ने फड़ पर छापा मारकर जुआरियों को धर दबोचा)। सामान बेचने की छोटी कच्ची दुकान, सड़क के किनारे लगी अस्थायी दुकान भी फड़ कहलाती है। (यह कपड़ा मैंने एक साधारण-सी फड़ से खरीदा था, लेकिन बहुत अच्छा निकला)।इन अर्थों में फड़ शब्द को संस्कृत पण से भी विकसित माना जा सकता है। अमरकोश के अनुसार, "पणो द्यूतादिषूत्सृष्टे भृतौ मूल्ये धनेऽपि च ।" अर्थात पण शब्द द्यूत (जुआ) के लिए, दाँव पर लगाए जाने वाले धन के लिए हैं। वाचस्पत्यम् के अनुसार पण: व्यवहारे (क्रयविक्रयादौ) स्तुतौ च। पण क्रय विक्रय आदि व्यवहार के लिए है।
नवीस शब्दों के अंत में जुड़ने वाला एक फ़ारसी प्रत्यय है जिसका अर्थ है, लिखने वाला, हिसाब-किताब का लेखा-जोखा रखने वाला। हिंदी-उर्दू में आज भी नवीस से बने अनेक शब्द प्रचलित हैं—अर्ज़ी नवीस (अरायज़-नवीस), अख़बार-नवीस, नक्शा-नवीस, ख़बर-नवीस आदि। इस आधार पर फड़नवीस का अर्थ होगा जुए का अड्डा (फड़) चलाने वाला या किसी फड़ में छुटपुट सामान बेचने वाला।
मराठी में फड़नवीस फ़ारसी फ़र्दनवीस से माना जाता है। फ़र्दनवीस से > फडणवीस‌ > फड़नीस। फ़ारसी में फ़र्द का अर्थ है हिसाब का रजिस्टर,  हुक्मनामा,  निमंत्रण का सूचीपत्र, सूची, फेहरिस्त, तालिका। फडणवीस मराठों का एक राजपद था जो राजसभा के लेखक हुआ करते थे। फडणवीस दीवानी या माल विभाग के प्रधान कर्मचारी थे जो ख़रीद, बिक्री या उगाही का हिसाब-किताब और सूचियाँ बनाते थे।  बड़े-बड़े इनाम या जागीरें देने की व्यवस्था भी फडणवीस ही किया करते थे। कालांतर में यह प्रसिद्ध उपनाम बन गया। मराठा शक्ति के उदय और प्रसार में फडणवीसों का बहुत हाथ रहा है। 18-वीं सदी में नाना फडणवीस एक अत्यंत चतुर और प्रभावशाली मराठा मंत्री थे। जब पानीपत का तृतीय युद्ध लड़ा जा रहा था, उस समय वे पेशवा की सेवा में नियुक्त थे। वे अपनी चतुराई और बुद्धिमत्ता के लिये बहुत प्रसिद्ध थे। टीपू सुल्तान, निजाम और अंग्रेजों के विरुद्ध टक्कर लेते हुए उन्होंने मराठा राज्य को स्थिर और सुदृढ़ किया।


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