रक्खणा, रखड़ी और राखी
अर्थ की दृष्टि से राख और राखी एक-दूसरे से बहुत दूर लगते हैं, लेकिन भाषा मूल की दृष्टि से दोनों का डीएनए एक ही है।
हिंदी, पंजाबी में राखी, रखड़ी रक्षासूत्र के लिए हैं जो √रक्ष् > रक्षा, रक्षण से हैं। रखना क्रिया भी रक्षण से है, पंजाबी– "तैंनू रब रक्खे"। इन सब में रक्षा शब्द हिफ़ाज़त करने का भाव देता है।
संस्कृत क्षार (प्राकृत खार) से हिंदी में दो शब्द हैं - छार और राख (खार का वर्ण विपर्यय)। एक अन्य शब्द ख़ाक फ़ारसी से है। राख को जब आध्यात्मिक गरिमा मिलती है तो वह बभूत/भभूत/विभूति हो जाती है। इसे भस्म भी कहा जाता है। भभूति या भस्म/राख पूर्णत: जले हुए पदार्थ का अवशेष है।
विभूति एक ओर राख है तो दूसरी ओर अतिमानवीय संपदा, धन-संपन्नता इत्यादि का द्योतक भी। किसी भी पदार्थ का अंतिम रूप भस्म/राख होता है। भस्म इस बात का संकेत भी है कि सृष्टि नश्वर है। इस तुच्छ से लगने वाले पदार्थ को तिलक के रूप में भी धारण किया जाता है।
दूसरी ओर रक्षा > राख अर्थ की दृष्टि से भिन्न लगती है। क्या इसे अर्थ विस्तार माना जा सकता है? रक्षा के संस्कृत में अनेक अर्थ हैं जिनमें राख (सुरक्षा करने के अर्थ में) कम प्रयुक्त है। अमरकोश रक्षा और क्षार दोनों को भस्म का पर्याय मानता है। दोनों में वर्ण विपर्यय देखा जा सकता है, जैसे खार और राख में।
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