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धूमपान या धूम्रपान

धूमपान या धूम्रपान? सुप्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक देवेंद्रनाथ शर्मा जी ने अपने एक ललित निबंध में कहा है कि स्मोकिंग के लिए धूमपान शब्द है, धूम्रपान नहीं। विचार करें। धूम (धुआँ) संज्ञा है, धूम्र (धुँए-सा रंग, grey) विशेषण। धुँए का पान किया जाता है, धूमल रंग का नहीं। महर्षि चरक, सुश्रुत आदि आयुर्वेद विशेषज्ञों ने अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के धूमपान का उल्लेख किया है- "शोफद्रावरुजायुक्तान् धूमपानैर्विशोधयेत्” (सुश्रुत) इसलिए देवेंद्रनाथ शर्मा जी का कथन कि धूमपान शुद्ध है, तर्कसंगत है; किंतु आज स्मोकिंग के लिए "धूम्रपान" ही रूढ़ हो गया है। अर्थ यात्रा में शब्द रथ बहुत आगे निकल आया है, उसे पीछे मोड़ना संभव नहीं, स्वीकारना होगा। हिंदी ने अपने अनेक नए शब्द बनाए हैं, उनमें एक धूम्रपान भी है। हिंदी में ही नहीं, अन्य भारतीय भाषाओं में भी धूम्रपान बहुप्रचलित है।

उदन्त मार्त्तण्ड: व्युत्पत्ति और अर्थ

उदन्त मार्तण्ड [#हिंदी_पत्रकारिता_दिवस के अवसर पर #उदन्त_मार्त्तण्ड नाम की व्युत्पत्ति और अर्थ के बारे में इस चर्चा को देख सकते हैं। पढ़कर अपने विचार साझा कीजिए।] 30 मई आती है तो हिंदी पत्रकार जगत में हिंदी में प्रकाशित पहले समाचार पत्र "उदन्त मार्त्तण्ड" (उदंत मार्तंड) को श्रद्धा से याद किया जाता है। साथ ही साथ उदंत का अर्थ प्रतिवर्ष भ्रामक व्युत्पत्ति से बताया जाता है - "उगता हुआ सूरज" (rising Sun)। मार्तण्ड की व्युत्पत्ति है मृत अण्ड से उत्पन्न; सूर्य का नाम है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसका उल्लेख यहाँ अप्रासंगिक होगा। समस्या उदंत को लेकर है। उदंत को बाहरी स्वरूपात्मक साम्य के आधार पर सूर्य के उदय (उत् + √इ + अच्) से जोड़ दिया जाता है। उदंत उस मवेशी को भी कहा जाता है जिसके अभी दाँत न जमे हों, अर्थात जो अदंत (दंतहीन) है। अब सोचने की बात है कि कोई अपने क्रांतिकारी समाचार पत्र का नाम पहले ही से दंतहीन रख देगा तो समाचारों की जो विशेषता बताई जाती है, वह धरी न रह जाएगी!? संस्कृत में उदय के साथ यदि शतृ प्रत्यय जुड़ सकता तो भी उदयन् होता और उदयन् का...

नाक पर उँगली

नाक नाम की गजब चीज़ दी है भगवान ने। कुछ ऐसा-वैसा हो जाए तो नाक कट जाती है। अच्छा काम कोई कर दे तो हम कहते हैं हमारी नाक रख दी। यद्यपि रखी-वखी कहीं नहीं जाती, जहाँ भगवान ने रखी है वहीं रहती है लेकिन मुहावरा तो है नाक रख ली। कुछ ऐसे बेशर्मों की भी नाक कटती है जिनके बारे में कहते हैं, नाक कटी तो गज भर और बढ़ी। कुछ लोग बड़ी नाक वाले होते हैं। यों उनकी नाक देखने में बड़ी नहीं होती; चपटी, बेडौल या बदसूरत भी हो सकती है लेकिन बस, नाक के नखरे ऐसे कि कहना पड़ता है, साहब! बड़ी नाक वाले यूं ही थोड़े मानेंगे। चुनाव के मौसम में बड़े-बड़े बड़ी नाक वाले नेता मतदाता के पैरों पर नाक रगड़ते देखे जाते हैं।‌ कुछ लोग उनकी नाक का बाल बने खटकते हैं और कुछ उनकी नाक पकड़ने-रगड़ने को तैयार बैठे होते हैं। मुसीबत वहाँ हो जाती है जहाँ कोई मुद्दा नाक का बाल हो जाता है। नाक के बाल की चुभन से बचने के लिए या तो उसे उखाड़ डालिए या विरोधी की नाक में नकेल डालने का मौका तलाशिए। बहरहाल हमने लोकतंत्र की नाक रखने की कोशिश की है, इस उम्मीद के साथ कि यही संविधान रहा तो आगे भी चुनाव होते रहेंगे। आमीन।

मत, वोट और केंचुआ

चुनाव आएँ तो 'वोट' आम व्यवहार का शब्द हो जाता है। vote अंग्रेजी में लैटिन मूल के शब्द votum से है। (votum-  a vow, wish, promise to a god, solemn pledge, dedication)। वोट के लिए हिंदी में नव निर्मित पारिभाषिक शब्द 'मत' है, किंतु अनौपचारिक संदर्भों में प्रयोग 'मत' का कम, वोट का अधिक होता है। यह बात और है कि लोक में इसके कई उच्चारण देखे-सुने जाते हैं- वोट, बोट, भोट, व्होट, ओट।  मत (संस्कृत √मन्+क्त) का अर्थ है मन से माना हुआ, विचार, सिद्धांत, राय (thought, idea, opinion)!औपचारिक प्रयोग में मत से बने अनेक मिश्रित शब्दों का प्रयोग होता है- मतदान, मतदाता, मताधिकार, बहुमत , मतपत्र, मतपेटी, मतगणना; एकमत, मतभेद। मतदान से संबद्ध पाँच शब्दों से बने एक अंग्रेजी शब्दगुच्छ 'वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल' (voter verified paper audit trail) के लिए एक परिवर्णी शब्द बना है- 'वीवीपैट'। लोक में इसका सरलीकृत नाम "पर्ची" सुना है, इसका 'हिंदी अनुवाद' (?) किसी को ज्ञात हो तो बताइएगा। इस परिवार का एक अन्य परिवर्णी शब्द उसे संवैधानिक संस्था ...