जानकारी न होने के कारण स्त्रीलिंग बहुवचन शब्दों में अशुद्धियाँ मिलती हैं। जैसे चिड़िया के तीन रूप-
1. चिड़ियें (क्योंकि गाय > गायें, बहन >बहनें)
2. चिडियाएँ (क्योंकि कथा > कथाएँ, सेना > सेनाएँ)
3. चिड़ियाँ (क्योंकि??)
नियम यह है। जिन स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अंत में या/इया आ रहा हो उनके साथ स्त्रीलिंग के लिए आँ प्रत्यय जुड़ता है। मूल शब्द के अंत में भी आ होने से दीर्घ संधि हो जाती है और स्वर की अनुनासिकता बनी रहती है। जैसे
बुढ़िया >बुढ़ियाँ
चिड़िया> चिड़ियाँ
गुड़िया> गुड़ियाँ
बचपन में दूरदर्शन से सुना हुआ वह गीत याद रखिए— "एक चिड़िया, अनेक चिड़ियाँ.."
अप्रत्यक्ष/तिर्यक (oblique) बहुवचन के लिए सभी प्रकार की संज्ञओं के साथ सर्वत्र ओं जुड़ता है। लताओं, बेलों, कुर्सियों, नदियों , चप्पलों इत्यादि। दुनिया आकारांत है, कन्याओं, भार्याओं की तरह दुनियाओं होगा । व्यवहार में 'दुनियाओं' का उपयोग कम ही होता है।
चिड़िया, गुड़िया आदि में ओं प्रत्यय आ के स्थान पर आता है। इसलिए
चिड़ियों को दाना डालें।
प्रबंधन गुड़ियों का खेल नहीं है।
बूढ़ियों, बुढ़ियाओं दोनों रूप चल रहे हैं।
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