कुछ तत्सम शब्दों की वर्तनी के बारे में भ्रम होता है कि इन के अंत में ट है या ठ? मोटी पहचान यह है कि यदि विशेषण उत्तमावस्था (Superlative degree) में है तो '-ष्ठ'(स्वादिष्ठ, श्रेष्ठ, बलिष्ठ , गरिष्ठ, कनिष्ठ); अन्यथा '-ष्ट' (इष्ट, शिष्ट, अनिष्ट, अदिष्ट, अदृष्ट, क्लिष्ट, परिशिष्ट, निकृष्ट, स्वादिष्ट)। स्वादिष्ठ✓ठीक है, किंतु अधिक प्रचलन को देखते हुए स्वादिष्ट को तद्भव स्वीकारा जा सकता है। यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि हिंदी में स्वादिष्ट शब्द स्वादिष्ठ की भाँति उत्तम अवस्था का विशेषण नहीं रह गया। अब स्वादिष्ट का अर्थ 'सबसे अधिक स्वाद वाला' नहीं, वरन् 'स्वाद वाला' ही रह गया है। तुलनात्मकता के लिए हम -से स्वादिष्ट, -की अपेक्षा स्वादिष्ट, -सबसे स्वादिष्ट कहेंगे।विशेषणों की तुलनावस्था (Comparative degree) या उत्तमावस्था के लिए यही हिंदी की अपनी व्यवस्था है:
विशेषण के पहले 'की अपेक्षा', 'से', 'तुलना में' या 'सबसे' जोड़कर। जैसे
सुंदर (तुलनावस्था):- से सुंदर, -की अपेक्षा सुंदर, -की तुलना में सुंदर;
(उत्तमावस्था) -सबसे सुंदर, सर्व सुंदर, सर्वाधिक सुंदर।
संस्कृत में तुलना और उत्तमावस्था के लिए -तर, -तम तथा -ईयान्, -इष्ठ हैं जो हिंदी में कुछ तत्सम शब्दों के साथ ही बचे हैं।
हिंदी में संस्कृत के तुलनावाची प्रत्यय जोड़कर कहना ही हो तो तुलना के लिए स्वादुतर, श्रेयस्कर, बलवत्तर इनका प्रयोग करना होगा क्योंकि ईयस्, -ईष्ठ प्रत्यय हिंदी में नहीं प्रयुक्त होते। तर-तम ही बचा है, वह भी केवल कुछ तत्सम शब्दों के साथ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें