फारसी, अरबी से हिंदी में आए कुछ शब्दों के लिए देवनागरी वर्तनी में नुक्ता लगाने न लगाने के बारे में बड़ी बहस है, जिसका समाधान हो नहीं पाता। दो पक्ष हैं। एक के अनुसार फ़ारसी, अरबी, तुर्की (FAT) के शब्दों का ही पूर्ण बहिष्कार किया जाए। ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी। जब फ़ारसी, अरबी के शब्द ही नहीं होंगे तो हमें नुक़्ते की जरूरत क्यों पड़ेगी। वे लोग भूल जाते हैं कि हिंदी में प्रचलित फ़ारसी, अरबी के शब्द अब हिंदी कि शब्दावली की अपनी संपत्ति हैं। ठीक ऐसे ही जैसे हिंदी या भारतीय मूल के शब्द अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा की। नुक्ता फ़ारसी, अरबी के लिए ही नहीं, अंग्रेजी से आगत शब्दों के लिए भी ज़रूरी होता है। यह वर्ग FAT मूल के शब्दों का बहिष्कार तो करता है किंतु अंग्रेजी मोह के कारण अंग्रेजी शब्दों का बहिष्कार नहीं करता; हाँ, नुक्ते का बहिष्कार वहाँ भी करता है।
दूसरा धड़ा कम से कम ज़ और फ़ वाले शब्दों में यथास्थान नुक्ता लगाए जाने का सुझाव देता है क्योंकि इन ध्वनियों के अनेक लघुतम व्यतिरेकी युग्म हिंदी में उपलब्ध हैं और नुक्ते के बिना अर्थ का अनर्थ हो जाने की पूरी संभावना रहती है।
आप साँप के फन से डर सकते हैं किंतु साँप को पकड़ने का फ़न आपके पास न हो तो आप उसे पकड़ नहीं सकते। बड़े-बड़े कलाकार, संगीतकार, नर्तक अपने फ़न में उस्ताद होते हैं। इस फ़न का साँप वाले फन से कोई संबंध नहीं। किसी फ़नकार का परिचय आप फनकार के रूप में देंगे तो वह अपनी विनम्रता से चाहे बुरा न माने, किंतु श्रोता उससे फ़न की अपेक्षा करेंगे, फन की नहीं। आपके मित्र हरफ़नमौला हों तो भी उनको फ़न के नीचे बिंदी चाहिए ही चाहिए।
आयुर्वेद में तीन प्रमुख रोग कारक तत्त्व (त्रिदोष) हैं - वात, पित्त और कफ। यहाँ यदि आप फ पर बिंदी लगाएँगे तो कफ़ (फ़ारसी) शब्द का अर्थ होगा श्लेष्मा, बलगम। जब तक आप श्लेष्मा से उलझ रहे हों, तब तक एक अंग्रेजी का कफ़ नुक्ते सहित आ टपकेगा खाँसी के अर्थ में। तभी नेपथ्य में प्रतीक्षा कर रहा एक और अंग्रेजी का कफ़ मंच में आ जाएगा। कमीज या कुर्ते की आस्तीन के आगे की वह दोहरी पट्टी भी अंग्रेजी में कफ़ कहलाती है जिस पर चल बटन लगाते हैं।
आवृत्ति वाले बार के लिए दफा शब्द है आप एक दफा कोई बात कहते हैं और आशा करते हैं कि उसका पालन हो। कानून की धारा, दंड संहिता का अनुच्छेद संख्या बताने के लिए भी नुक्ता रहित दफा शब्द है, किंतु जब झुँझलाकर किसी को अपने सामने से तुरंत भाग जाने के लिए कहते हैं तो आप कहते हैं, "दफा़ हो जाओ मेरे सामने से।" तब दफ़ा होने वाला अपेक्षा करता है कि आप दफ़ा में एक दफा नुक्ता अवश्य लगा दें।
अंग्रेजी का सफ़र (कष्ट उठाना) हो या अरबी का सफ़र (यात्रा करना), अंग्रेजी का फी़ (शुल्क) या फारसी का फ़ी (प्रति), इन सब में फ के नीचे बिंदी आवश्यक है। आज स्थिति यह है कि इंग्लिश का प्रयोग चाहे अनचाहे बढ़ जाने से अंग्रेजी के फ़ वाले शब्द हिंदी में सर्वाधिक प्रयुक्त हो रहे हैं।
अल्प ज्ञान, अनभिज्ञता अथवा अति सतर्कता के कारण कुछ लोग फ वाले प्रत्येक शब्द में नुक्ता लगा देते हैं, जैसे फल-फूल, फावड़ा आदि फ़ल-फ़ूल फ़ावड़ा हो गए हैं- वर्तनी में ही नहीं, उच्चारण में भी।
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