लगभग, प्रायः बहुधा और आसपास ये सभी अव्यय अनिश्चितता के द्योतक हैं। लगभग में पूर्व पद लगना क्रिया से बना है और अगला उसी का पुनरुक्त शब्द है। इस प्रकार 'लगभग' एक द्विरुक्त शब्द है। जब हम किसी एक संख्या या क्रिया व्यापार को निश्चित रूप में नहीं बता सकते तो लगभग का प्रयोग करते हैं।
~ 'लगभग पचास लोग' का अर्थ है: पचास के आसपास, 2/4 कम या अधिक।
संकेतित इकाई (संज्ञा) के पूर्व यह लगभग संख्यावाची विशेषण के प्रविशेषण का प्रकार्य करता है और संकेतित संज्ञा के बाद आने पर लगभग से पूर्व कारक प्रत्यय 'के' आता है; जैसे:
~लगभग 20 आम थे ।
~बीस के लगभग आम थे।
~लगभग सभी आम कच्चे थे।
अर्थ समान होते हुए भी वाक्य संरचना में कुछ अंतर दिखाई पड़ता है।
अब इन वाक्यों को देखें:
~पांडुलिपि लगभग पूरी हो गई ।
~मकान लगभग तैयार है ।
~तुम्हारा उत्तर लगभग सही है ।
ऐसी स्थिति में 'लगभग' शुद्ध रूप से क्रिया विशेषण का प्रकार्य करता है और इसकी अन्विति क्रिया के निकट बैठती है। लगभग पूरा होना या लगभग तैयार होना का आशय है, बस थोड़ी सी कसर रह गई है अन्यथा कार्य पूरा समझें।
ऐसी स्थितियों में लगभग को 'प्रायः' से बदला भी जा सकता है ।
एक अन्य स्थिति में 'लगभग' को आसपास से बदला जा सकता है । पास (निकट) के अनुकरण वाची शब्द से आस-पास बनता है।
~ गिरोह में 10 के आसपास डाकू रहे होंगे। (लगभग 10 तक)
~ 20 जनवरी के आसपास की बात है। (लगभग 20 जनवरी की)
प्रायः और बहुधा दोनों तत्सम शब्द हैं। हिंदी में इनका प्रयोग उन स्थितियों में होता है जहाँ थोड़े-थोड़े अंतराल से कोई क्रिया होती ही रहती है।जैसे
~गर्मियों में हम प्रायः शिमला चले जाते हैं।
~बुखार प्रायः जाड़ा लगकर आता है। इन दोनों ही वाक्य में बहुधा का प्रयोग भी प्रायः के स्थान पर हो सकता है किंतु जैसा कि बहुधा के 'बहु' से स्पष्ट है, इसमें कार्य या क्रिया की आवृत्ति अधिक हो सकती है। प्रयोग में ये एक-दूसरे के स्थान पर आ सकते हैं और इनमें कोई सूक्ष्म अंतर नहीं किया जाता।
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